श्री देवी भागवत पुराण की कथा ||maa Durga kei katha||devi bhagwat Katha adhyay 1aur 2
Автор: Krishna ki bhakti
Загружено: 2025-12-05
Просмотров: 137
श्री देवी भागवत पुराण की कथा ||maa Durga kei katha||devi bhagwat Katha adhyay 1aur
देवी भागवत पुराण, जिसे देवी भागवतम, भागवत पुराण, श्रीमद भागवतम और श्रीमद देवी भागवतम के नाम से भी जाना जाता है, देवी भगवती आदिशक्ति/दुर्गा जी को समर्पित एक संस्कृत पाठ है और हिंदू धर्म के अठारह प्रमुख महा पुराणों में से एक है जोकि महर्षि वेद व्यास जी द्वारा रचित है। देवी भागवत पुराण हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एक है, जिसमें देवी शक्ति की महिमा का वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ देवी के विभिन्न रूपों, अवतारों और कथाओं को विस्तार से बताता है, और इसे हिंदू धर्म के महापुराणों में से एक माना जाता है। देवी भागवत पुराण में देवी की शक्ति, प्रेम और करुणा की कथाएं हैं, जो भक्तों और आध्यात्मिक साधकों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।
श्रीमद् देवीभागवत महापुराण प्रथम खण्ड हिंदी में
अठारह पुराणों की गणना में जिस प्रकार श्रीमद्भागवत महापुराण शीर्ष स्थानपर है उसी प्रकार श्रीमद् देवीभागवत महापुराण’ (Devi Bhagavata Purana) की भी महापुराण के रूपमें उतनी ही महत्ता एवं मान्यता प्राप्त है। शक्ति के उपासक इस पुराण को ‘शाक्त भागवत’ कहते हैं। इस महापुराण के आरंभ, मध्य और अंत में – सर्वत्र देवी आद्याशक्ति की महिमा का निरूपण किया गया है। देवी आद्याशक्ति के कर्म अनंत हैं, उन कर्मों का प्रमाण ही इस ग्रंथ का मुख्य विषय रहा है।
वास्तव में, वह महाशक्ति ही परम ब्रह्म के रूप में प्रतिष्ठित है, जो विभिन्न रूपों में विभिन्न गतिविधियाँ करती रहती है। इनकी शक्ति से ब्रह्मा सृष्टि की रचना करते हैं, विष्णु रक्षा करते हैं और शिव संहार करते हैं, इसलिए ये आदि नारायणी शक्ति हैं जो संसार की रचना, पालन और संहार करती हैं। ये महाशक्तियाँ हैं जिन्हें नौ दुर्गाओं और दस महाविद्याओं के रूप में दर्शाया गया है।
18 मुख्य पुराणों या उपपुराणों के प्रत्येक अध्याय के अंत में यह श्लोक है “यह विष्णु पुराण के पांचवें खंड का अंत है”, या “इस प्रकार गणेश पुराण उपासनाखंड का पहला अध्याय “सोमकांता का वर्णन” समाप्त होता है। जबकि देवी भागवतम में यह स्पष्ट है – “इस प्रकार महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित 18,000 श्लोकों वाले महापुराण श्रीमद् देवी भागवतम के पहले स्कंध का आठवां अध्याय समाप्त होता है”। महान ऋषियों द्वारा शब्दों का चयन स्पष्ट है क्योंकि दिव्य माँ को सभी प्रमुख शास्त्रों में त्रिदेवों और सभी देवताओं से परे और ऊपर के रूप में वर्णित किया गया है। श्रीमद् भागवतम वैष्णवों के लिए है, देवी भागवतम शाक्तों के लिए है।
महर्षि व्यास की दिव्य प्रतिभा से रचित श्रीमद् देवीभागवत महापुराण’ (Devi Bhagavata Purana) में 12 स्कंध (अध्यायों) में विभाजित है, और कुल 18,000 श्लोक हैं। यह ग्रंथ महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित है। यद्यपि इसे उप-पुराण के रूप में वर्गीकृत किया गया है, यह एकमात्र पुराण है जिसे वेदव्यास ने “महापुराण” अर्थात महान पुराण कहा है। इस महापुराण में विशेष रूप से देवी की महिमा और शक्ति के गुणगान के लिए जाना जाता है। इसे देवी भागवत या देवी पुराण के नाम से भी जाना जाता है। इसमें देवी की विभिन्न रूपों और उनकी कथाओं का वर्णन किया गया है, जो भक्तों को श्रद्धा और भक्ति की ओर प्रेरित करती हैं।
इस पुराण में देवी के विविध रूपों जैसे दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, काली आदि का वर्णन मिलता है और उनके महत्त्व, शक्ति और भक्तों पर उनकी कृपा की कथाएँ सुनाई गई हैं। इसमें कई पौराणिक कथाएँ शामिल हैं जो देवी की महिमा और शक्ति को दर्शाती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कथाएँ हैं देवी सती की कथा, पार्वती की तपस्या, दुर्गासप्तशती आदि। देवीभागवत महापुराण में देवी की उपासना और आराधना के विभिन्न विधियों का वर्णन है, जिसमें मंत्र, स्तोत्र, हवन, और पूजा के विभिन्न उपाय शामिल हैं।
‘श्रीमद् देवी भागवत पुराण’ (Devi Bhagavata Purana) को सुनने और पढ़ने से स्वाभाविक रूप से पुण्य और चेतना की शुद्धि, आदि शक्ति भगवती के प्रति आकर्षण और विषयों का त्याग होता है। मनुष्यों को सांसारिक और पारलौकिक हानि और लाभ का सच्चा ज्ञान होता है, साथ ही जो जिज्ञासु और चाहने वाले होते हैं। उन्हें शास्त्रोक्त मर्यादा के अनुसार जीवन जीने के लिए कल्याणकारी ज्ञान, सुंदर एवं पवित्र जीवन जीने की शिक्षा भी इस पुराण से मिलती है। इस प्रकार यह पुराण जिज्ञासुओं के लिए अत्यंत उपयोगी, ज्ञानवर्धक तथा उनकी सच्ची समृद्धि में पूर्ण सहायक है।
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: