क्यों मनाई जाती है गढ़वाल में इगास?
Автор: Sanjeev Kandwal
Загружено: 2025-10-29
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गढ़वाल में मनाई जाने वाली ईगास का संबंध वीर माधो सिंह भंडारी से जुड़ा हुआ माना जाता है। श्रीनगर गढ़वाल से सटे मथेला गांव के माधो सिंह भंडारी 17 वीं शताब्दी के प्रसिद्ध भड़ थे। उस वक्त श्रीनगर गढ़वाल रियासत की राजधानी थी। वीर माधो सिंह भंडारी इसी गढ़वाल राज्य के सेनानायक थे। तब गढ़वाल और तिब्बत के बीच अक्सर युद्ध हुआ करते थे। एक युद्ध में वीर माधो सिंह इतने उलझ गए कि दिवाली के समय भी वापस श्रीनगर गढ़वाल नहीं पहुंच पाए। इस कारण उस साल गढ़वाल राज्य में दिवाली नहीं मनाई गई। लेकिन दिवाली बीतने के कुछ दिन बाद ही राजधानी में यह शुभ सूचना आ गई कि माधो सिंह भंडारी ने युद्ध में विजय प्राप्त कर ली है, और वो पूरी तरह सुरखित हैं। इस पर खुश होकर राजा की सहमति पर एकादशी के दिन पूरी गढ़वाल रियासत में दिवाली मनाने की घोषणा की गई। तब से गढ़वाल में दिवाली के ठीक 11 दिन बार इगास बग्वाल बनाई जाती है। मनाते हैं।
वीर माथो सिंह भंडारी ने 1634 के आसपास मलेथा की प्रसिद्ध कूल भी बनाई थी, इसके लिए पहाड़ में सुरंग बनानी पड़ी, इस प्रयास में उनके पुत्र भी शहीद हो गए, लेकिन वो पीछे नहीं हटे।
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