CHARGE SHEET केे बाद, आगे की जांच केवल परीक्षण अदालत की अनुमति GAJENDRA SING VS STATE OF RAJASTHAN
Автор: Advocate VIPUL SHARMA BAGDA
Загружено: 2025-09-26
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यह न्यायिक दस्तावेज़ राजस्थान उच्च न्यायालय में गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा दायर एक आपराधिक याचिका से संबंधित है, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज एक एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी। न्यायालय ने पाया कि पुलिस द्वारा गहन जांच के बाद, जिसमें पहले ही चार आरोपपत्र दायर किए जा चुके थे, याचिकाकर्ता को किसी भी आरोपपत्र में आरोपी नहीं बनाया गया और न ही उसके खिलाफ कोई भूमिका तय की गई। राज्य के वकील ने पुष्टि की कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई अपराध नहीं पाया गया और इसलिए उसके खिलाफ कोई पूरक आरोपपत्र दायर करने का प्रस्ताव नहीं है। चूँकि याचिकाकर्ता अब आरोपी नहीं रहा, इसलिए प्राथमिकी को रद्द करने की उसकी प्रार्थना अनावश्यक हो गई। अंत में, न्यायालय ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 193(9) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि एक बार मुख्य आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दायर हो जाने के बाद, आगे की कोई भी जांच केवल परीक्षण अदालत की अनुमति से ही की जा सकती है।
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