Tihar Jail की दीवारों पर लिखी कविताएं किसकी? Vartika Nanda से सुनें Radio in Prison & Prisoners गाथा
Автор: Sahitya Tak
Загружено: 2025-10-12
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कैदियों के लिए रेडियो-स्टेशन?
जेल के अंदर कैदियों का अपना रेडियो प्रसारण?
कैसे चलता है जेल के अंदर रेडियो?
तिहाड़ जेल की दीवारों पर कविताएं लिखने वाला कवि कौन है?
जेल में कैसी कविताएं जन्म लेती हैं?
अपराध करने वाले और अपराध सहने वालों की मनोस्थिति में क्या अंतर होता है?
औरत के पीड़िता होने को किसने स्वीकार्य बनाया?
2025 में औरत से पुरुष क्यों डरने लगा है?
जघन्य अपराध करने वाले कैदियों को अफ़सोस न होना क्या दिखाता है?
जेल में काम करने में सबसे बड़ा डर क्या रहता है?
ये और ऐसे ही कई प्रश्नों से रूबरू हुईं लेखिका, समाजसेविका और प्राध्यापक डॉ. वर्तिका नंदा जब वह साहित्य तक के 'बातें-मुलाकातें' कार्यक्रम में अपने जीवन कर्म पर चर्चा के लिए आईं. डॉ नंदा एक जमाने की जानीमानी पत्रकार, मीडिया कर्मी रही हैं, और वर्तमान में दिल्ली के एक प्रतिष्ठित विद्यालय में मीडिया शिक्षिका हैं. आपने दिल्ली विश्वविद्यालय और भारतीय जनसंचार संस्थान में अध्यापन का कार्य भी किया है. 'बलात्कार और प्रिंट मीडिया की रिपोर्टिंग' विषय पर पी.एच.डी. धारी नंदा को भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा वर्ष 2014 में स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. आपने जेल और कैदियों के जीवन पर विस्तृत कार्य किया है. जेलों में भी इनसान रहते हैं. उनके भी सपने होते हैं, उम्मीदें होती हैं. वे आसमान से नहीं टपकते. वे हमारे-आपके परिवारों के ही लोग होते हैं. पर ऐसा क्यों होता है कि समाज कैदियों के प्रति हिकारत की नजर रखता है. आपने अपने विविध क्षेत्रों के अनुभवों और उनसे मिली सीखों को इस बातचीत में स्पष्टता से रखा है. सुनिए जय प्रकाश पाण्डेय संग यह शानदार बतकही सिर्फ साहित्य तक पर.
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