राम नाम अमर नाम (भजन) - गायक पूज्य फूल बाबा
Автор: Bhakti Sagar Sanjay Kumar
Загружено: 2025-12-23
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"ॐ गुरु धन्य हैं।"
परमाराध्य सदगुरु प्रभु की असीम कृपानुदान से पूज्य गुरुदेव प्रोफेसर बिंदेश्वरी प्रसाद यादव (मधेपुरा) की अध्यक्षता में दिनांक - 12 दिसम्बर, 2025 ई० दिन - शुक्रवार के प्रातःकाल से दिनांक - 14 दिसम्बर, 2025 ई० दिन - रविवार के अपराह्नकाल तक मेरे निवास पर प्रोफेसर कॉलोनी वार्ड नंबर - 05 मधेपुरा में त्रिदिवसीय संतमत सत्संग का आयोजित कार्यक्रम सुसंपन्न हुआ। इस सुअवसर पर महर्षि मेंहीं जन्म-भूमि संतमत सत्संग आश्रम के महात्मा पूज्य योगानंद बाबा, महर्षि मेंहीं योगाश्रम सुखासन के व्यवस्थापक महात्मा पूज्य हरेराम बाबा, कोकिल कंठ के धनी नवगछिया संतमत सत्संग आश्रम के व्यवस्थापक महात्मा एवम् संतवाणी गायक पूज्य फूल बाबा की उपस्थिति रही।
सत्संग का आशय लेकर अलौकिक शक्ति वा ईश्वरत्व पाने वाले परमाराध्य सद्गुरु संत मेंहीं का अमोघ व अमृतमय उपदेश है:
"बराबर सत्संग में आते रहिए। सत्संग करते रहिए। मोक्ष नजदीक है। खाने-पीने, पहनने-ओढने में कमी नहीं रहेगी। पहले जीवन्मुक्ति, फिर बाद में विदेहमुक्ति होगी।"
-अनुभव प्रकाश पृष्ठ-75
आपने महात्माओं के जो उपदेश सुने हैं, वे अमोघ हैं, पवित्र हैं और बहुत लाभकारी हैं। इतना उत्तम उपदेश कहाँ सुनेंगे ? जो लोग यहाँ रहते हैं, वे बारम्बार सुनते होंगे और जो दूर से आये हैं, बहुत खर्च और थकान मालूम हुए हैं, वे सभी खर्च और थकान इस उपदेश के सामने कुछ नहीं। आपने बड़ा अच्छा किया है।
हरिद्वार पृष्ठ-78
ऋषि वाक्य है:
संसार विषवृक्षस्य द्वे फले ह्यमृतोपमे ।
काव्यरसस्वादः सङ्गतिः सुजनैः सह ॥ -
संसार रूप विषवृक्ष में दो अमृत फल हैं- शास्त्र वचन और महापुरुष का सत्संग।
ज्ञान-बिना कर्तव्य कर्म का निर्णय नहीं हो सकता । कर्तव्य कर्म के निर्णय के बिना अकर्तव्य कर्म भी किया जायगा, जिससे अपना परम कल्याण नहीं होगा, इसलिये ज्ञानोपार्जन अवश्य करना चाहिये, जो विद्याभ्यास और सत्संग से होगा ।
--सत्संग योग भाग-04, पारा 101
निवेदक- संजय कुमार
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