बरसाना का कीर्ति मंदिर!!कीर्ति मंदिर बरसाना!!बरसाना का कीर्ति मंदिर सम्पूर्ण विडिओ
Автор: Rajesh shah RSS
Загружено: 2025-12-08
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बरसाना का कीर्ति मंदिर जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा परिकल्पित और निर्मित एक अनूठा मंदिर है, जिसकी नींव 2006 में रखी गई थी और 2019 में इसका उद्घाटन हुआ। यह मंदिर राधा रानी की माता कीर्ति देवी को समर्पित है और इसकी विशेषता यह है कि गर्भगृह में राधा रानी अपनी मां की गोद में बैठी हुई बाल रूप में हैं, जो विश्व में अपनी तरह का पहला मंदिर है, जो राधा-कृष्ण के वात्सल्य प्रेम को दर्शाता है। यह मंदिर बरसाना के आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाता है और राधा रानी के बचपन के स्थान पर बना है।
इतिहास और निर्माण
परिकल्पना और नींव: जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने राधा रानी की मां, कीर्ति मैया के सम्मान में इस मंदिर की कल्पना की और 2006 में इसकी आधारशिला रखी।
निर्माण अवधि: मंदिर के निर्माण में लगभग 13 साल लगे। कृपालु जी महाराज के निधन के बाद, उनकी बेटियों ने इस कार्य को पूरा किया।
उद्घाटन: 10 फरवरी 2019 (वसंत पंचमी) को मंदिर का उद्घाटन हुआ और 11 फरवरी से भक्तों के लिए खोल दिया गया।
विशेषताएँ
अनोखी मूर्ति: मुख्य प्रतिमा में राधा रानी अपनी मां कीर्ति देवी की गोद में बैठी हैं, जो वात्सल्य भाव को दर्शाती है।
स्थान: यह मंदिर उस स्थान पर बना है, जहाँ माना जाता है कि राधा रानी ने बचपन बिताया था।
पत्थर: मंदिर के निर्माण में भरतपुर के वंशी पहाड़पुर के विशेष पत्थरों का उपयोग किया गया है, जिनका प्रयोग अयोध्या के राम मंदिर में भी हुआ है।
वास्तुकला: मंदिर की स्थापत्य शैली नागर और द्रविड़ शैली का मिश्रण है, जिसमें खूबसूरत नक्काशी और मेहराब हैं, जो इसे भव्य बनाते हैं।
अन्य प्रतिमाएँ: मुख्य प्रतिमा के साथ राधा-कृष्ण और सीता-राम की प्रतिमाएँ भी हैं, और मंदिर के दरवाजों पर राधा की अष्टसखियों (आठ सखियों) की प्रतिमाएँ हैं।
महत्व
कीर्ति मंदिर राधा रानी के जन्म स्थान बरसाना के आध्यात्मिक केंद्र में स्थित है और राधा-कृष्ण के प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
यह मंदिर न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि भक्तों को शांति और आध्यात्मिक अनुभव भी प्रदान करता है।
कीर्ति मंदिर, बरसाना की कहानी राधा रानी के बाल रूप और उनकी माता कीर्ति देवी के पवित्र वात्सल्य प्रेम को समर्पित है, जिसे जगद्गुरु कृपालु महाराज ने बनवाया; यह मंदिर राधा रानी के बचपन के स्थान पर है, जहाँ वे माता की गोद में खेलती हुई दिखती हैं, और यह प्रेम, सेवा तथा अद्वितीय वास्तुकला (बिना सीमेंट-सरिया के पत्थरों से निर्मित) का संगम है, जो भक्तों को राधा-कृष्ण की दिव्य लीलाओं का अनुभव कराता है.
मंदिर का इतिहास और निर्माण:
परिकल्पना:
जगद्गुरु कृपालु महाराज ने बरसाना में इस मंदिर की परिकल्पना की, जहाँ राधा रानी का जन्म हुआ था.
नींव:
8 मई, 2006 को इसकी नींव रखी गई और 13 वर्षों के बाद, 10 फरवरी, 2019 (वसंत पंचमी) को इसका उद्घाटन हुआ.
वास्तुकला:
यह मंदिर उत्तर भारतीय नागर और दक्षिण भारतीय द्रविड़ शैली का संगम है, जिसे भरतपुर के गुलाबी बलुआ पत्थरों से बनाया गया है, और इसमें सीमेंट या सरिया का इस्तेमाल नहीं किया गया है.
निर्माण में योगदान:
जगद्गुरु कृपालु महाराज के निधन के बाद उनकी बेटियों ने निर्माण कार्य पूरा कराया, जिसमें कई राज्यों के 1200 शिल्पकारों ने काम किया.
कहानी और महत्व:
वात्सल्य प्रेम:
यह मंदिर राधा रानी के प्रति उनकी माता कीर्ति देवी के गहरे मातृ प्रेम (वात्सल्य भाव) को दर्शाता है, जिनके लिए कीर्ति और वृषभानु जी ने लंबी तपस्या की थी.
राधा का बाल रूप:
भक्त यहाँ राधा रानी को माता कीर्ति की गोद में खेलते हुए देख सकते हैं, जिससे उन्हें अद्भुत अनुभव होता है.
लीलाओं का चित्रण:
मंदिर की दीवारों पर राधा और सखियों (मित्रों) के साथ कृष्ण की लीलाओं के सजीव चित्र हैं, जो हर पल दिव्य प्रेम की याद दिलाते हैं.
"राधे राधे" का गान:
मंदिर परिसर से लगातार "राधे राधे" की ध्वनि आती रहती है, और शिखर राधा के नाम को ब्रह्मांड में फैलाते हैं, जिससे यह आध्यात्मिक केंद्र बन गया है.
संक्षेप में, कीर्ति मंदिर बरसाना सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि राधा-कृष्ण के शाश्वत प्रेम और माता के पवित्र वात्सल्य को दर्शाने वाला एक आध्यात्मिक स्थल है, जो अपनी सुंदरता और दिव्य ऊर्जा से भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है.
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