मस्तक पर तिलक लगाने का वैज्ञानिक औऱ धार्मिक कारण
Автор: Acharya Bharat Bhushan Gaur
Загружено: 2023-08-21
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वैसे तो हिन्दू धर्म (Hindu Dharm) में कई सारी परम्पराएं प्रचलित हैं, और इन्हीं में से एक है माथे पर तिलक लगाने की. अक्सर हम तिलक तब लगाते हैं जब किसी मंदिर (Mandir) में जाते हैं या हमारे घर में पूजा, यज्ञ या हवन इत्यादि होता है. तिलक लगाने की परंपरा भारत (India) में प्राचीन काल से चली आ रही है. पहले के समय में लोग किसी शुभ काम करने से पहले तिलक लगाते थे. राजा महाराजा किसी युद्ध में जाते थे तो पहले अपने पूजनीय देवी-देवता को याद करते और माथे पर तिलक लगाते थे. हिन्दू धर्म पुराणों में पूर्ण विस्तार से माथे पर तिलक लगाने के महत्तव को बताया गया है.
माथे पर तिलक लगाने को लेकर सिर्फ धार्मिक महत्त्व ही नहीं बल्कि इसके महत्त्व को अब वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं. माथे पर तिलक लगाने के काफी फायदे होते हैं. आइए जानते हैं कि माथे पर तिलक लगाने के क्या फायदे होते हैं. (Benefits of applying Tilak)
तिलक लगाने के नियम
हमारे शरीर में 7 चक्र होते हैं. इनमें से एक चक्र आज्ञा चक्र होता है जो माथे के बीच में होता है. तिलक हमेशा आज्ञा चक्र पर ही लगाना चाहिए. ज्यादातर अनामिका उंगली से ही तिलक लगाया जाता है. ऐसा करने से मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है. अंगूठे से भी तिलक लगाया जाता है. ऐसा करने से ज्ञान प्राप्त होता है. वहीं किसी कार्य में सफलता पाने के लिए तर्जनी उंगली से तिलक लगाया जाता है ।
माथे पर क्यों लगाया जाता है तिलक, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक कारण
सनातन धर्म में माथे पर तिलक लगाने का काफी महत्व माना गया है. पूजा के समय या किसी भी शुभ कार्य के मौके पर मस्तक पर तिलक जरूर लगाया जाता है. ये संस्कृति प्राचीन काल से चली आ रही है.
माथे पर तिलक लगाने का महत्व
सनातन धर्म में माथे पर तिलक लगाने का काफी महत्व माना गया है. विवाहित स्त्रियां माथे पर कुमकुम का तिलक लगाती हैं. पूजा के समय या किसी भी शुभ कार्य के मौके पर भी मस्तक पर तिलक जरूर लगाया जाता है. अलग अलग मौकों पर अलग चीजों से तिलक लगाने का चलन है. ये संस्कृति प्राचीन काल से चली आ रही है. आइए जानते हैं इस मान्यता के पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व.
ये है धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता के मुताबिक मस्तक के बीचोंबीच भगवान विष्णु का निवास होता है. उस स्थान पर ही तिलक भी लगाया जाता है. मान्यता है कि इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. महिलाएं इसे मातारानी का आशीर्वाद मानकर मस्तक पर लगाती हैं. इसके अलावा इस स्थान को त्रिवेणी या संगम भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर शरीर की तीन नाड़ियां एक साथ मिलती हैं. यही स्थान मन का गुरू का भी होता है, इसलिए इसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस स्थान पर तिलक लगाने से मन की एकाग्रता बढ़ती है और व्यक्ति का तेज बढ़ता है. हिंदू धर्म में संगम तट पर गंगा स्नान के बाद तिलक लगाया जाता है, मान्यता है कि इससे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. धार्मिक रूप से चंदन, रोली, हल्दी, कुमकुम और भस्म के तिलक का अलग अलग महत्व है.
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