मायाजाल का ब्रह्मास्त्र ! तेरहवें अध्याय का सार ! अष्टावक्र गीता
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तपस्या छोड़ो, अभी मुक्त हो जाओ! | Ashtavakra Gita
न पुण्य ,न पाप ! तू बस साक्षी है ! अष्टावक्र गीता
शुद्ध तत्वज्ञान ! सोलहवें अध्याय का सार ! अष्टावक्र गीता
कैसे साधें साक्षी भाव को ? क्या तरीका है ! अष्टावक्र गीता
चाह और चिंता दोनों से मुक्ति ! नौवें अध्याय का सार ! अष्टावक्र गीता
स्वयं को देखने की विधि क्या है ? | What is the method to see oneself?
Chanchal Mann Ki Chalaki Pakadi to Mukti Abhi - Ashtavakra | Gyaan Marg
25 तत्व: जिनसे आपका शरीर और पूरा ब्रह्मांड बना है | ब्रह्मांड का असली सच: सांख्य दर्शन
मै कौन हूँ ? | Who am I ? | श्री रमण महर्षि
जहां सारे प्रश्न मौन हो गए ! पांचवें अध्याय का सार ! अष्टावक्र गीता ,नई सरल व्याख्या
पहले अध्याय में ही हुआ आत्मबोध का विस्फोट ! अष्टावक्र गीता ! प्रथम अध्याय सार
यह 1 बात जिसने हज़ारों साधकों को जागृत कर दिया क्या आप तैयार हैं? अष्टावक्र गीता
ऐसा मौन जहां सारे प्रश्न समाप्त हो गए ! अष्टावक्र गीता
जो थम गया ,वही जान गया ! सातवें अध्याय का सार ! अष्टावक्र गीता
दुख है ही नहीं जो रो रहे हो, जान लो ये सिर्फ मन का मायाजाल है! अष्टावक्र गीता
तुम कौन हो ? इसे जानो पहले ! अष्टावक्र गीता
कामना के बाजार में मुक्त रहने के सूत्र ! अष्टावक्र गीता
मौन की गूंज साक्षी भाव से सुनें ! अष्टावक्र गीता
ज्ञान से बंधन टूटते हैं, अष्टावक्र की गीता के गहरे अर्थ ! अष्टावक्र गीता
तुम्हारी असली बीमारी ‘विचार’ है और यही तुम्हारा पुनर्जन्म तय करते हैं! अष्टावक्र गीता