कालाम सुत्त | किसी बात को केवल इसलिए मत मानो क्यो की वह धर्म ग्रंथो मे लिखी है |
Автор: Atta deep bhava - अत्त दीप भव
Загружено: 2024-12-28
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कालाम सुत्त | किसी बात को केवल इसलिए मत मानो क्यो की वह धर्म ग्रंथो मे लिखी है | kalam sutta | kesamutti sutta|
कालाम सुत्त बुद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है, जो अंगुत्तर निकाय (त्रिपिटक के सुत्त पिटक का हिस्सा) में पाया जाता है। यह सुत्त भगवान बुद्ध द्वारा कालाम नामक समुदाय को दिए गए उपदेश को संदर्भित करता है, जो आधुनिक उत्तर प्रदेश (भारत) के श्रावस्ती के पास स्थित था।
कालाम सुत्त का मुख्य संदेश:
1. अंधविश्वास से बचना:
किसी बात को केवल इसलिए मत मानो क्योंकि यह किसी धर्मग्रंथ, परंपरा, या किसी गुरु द्वारा कही गई है।
2. स्वतंत्र विचारशीलता:
किसी बात को केवल इसलिए न मानो क्योंकि इसे बहुसंख्यक लोग मानते हैं, बल्कि खुद अपने अनुभव और बुद्धि से परखो।
3. तर्क और विवेक:
किसी भी बात को तर्क, अनुभव और परिणाम के आधार पर परखो।
4. करुणा और नैतिकता:
ऐसा आचरण करो जो खुद के लिए, दूसरों के लिए और पूरे समाज के लिए लाभकारी हो।
5. स्वयं परीक्षण:
किसी भी सिद्धांत को तब तक न स्वीकारो जब तक वह तुम्हारे अनुभव, तर्क, और बुद्धि के आधार पर सही न लगे।
कालाम सुत्त का सार:
बुद्ध ने कहा कि किसी चीज़ को सिर्फ इसलिए मत मानो क्योंकि:
वह सुनी-सुनाई बात है।
वह परंपरा का हिस्सा है।
वह धार्मिक ग्रंथ में लिखी है।
वह गुरु, शिक्षक या विद्वान ने कही है।
बल्कि उसे स्वयं जांचो, अनुभव करो, और यदि वह नैतिक, विवेकपूर्ण और सभी के लिए कल्याणकारी हो, तब उसे स्वीकार करो।
यह सुत्त वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तर्क, और स्वतंत्र विचार का समर्थन करता है और इसे आज भी व्यक्तिगत सत्य और नैतिकता की खोज में एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन माना जाता है।
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