3 .आ.पं.राजेन्द्र जी जबलपुर || विषय:- मोक्षमार्ग प्रकाशक (मोक्ष तत्त्व संबंधी भूल)|| उदयपुर प्रवास||
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15/12/25 "श्री समयसार जी" गाथा-50-55 आ.पं.श्री राजेन्द्र कुमार जैन जबलपुर
जिन्हें भाग्य की आवश्यकता नहीं, भाग्य उन्हीं के पीछे आता है। क्रमबद्धपर्याय में पुरुषार्थ क्या है ?
4 .आ.पं.राजेन्द्र जी जबलपुर || विषय:- समयसार (गाथा-15 ) || उदयपुर प्रवास||
23/12/25"श्री मोक्षमार्ग प्रकाशक जी" चौथा अधिकार प्रयोजनभूत-अप्रयोजनभूत पदार्थ पं.श्री राजेंद्र जी
146. #समयसार | गाथा 46, टीका | व्यवहार अपरमार्थ होते हुए भी उसका उपदेश न्याय संगत | 19.12.25 |
योगसार 184 जैनदर्शन में ईश्वरीय अवधारणा क्या है
|| Part 1 || Karma philosophy in jainism || प्रदेशोदय कर्मनिर्जरा , विपाकोदय कर्मनिर्जरा ||
वैराग्यपूर्ण मार्मिक उद्वोधन पं.श्री समकितजी जैन शिवपुरी(स्व.पं.श्री हुकुमचंदजी जैन श्रद्धांजलि सभा)
जिनने किये धरम उनके फूटे करम - क्या कारण है की धर्मी जीवों को पाप का उदय ज्यादा आता है
मोह क्यों डिलीट नहीं होता | संस्कार, पर्याय और मोक्ष मार्ग का रहस्य | समयसागर जी महाराज | Samaysagar
5 .आ.पं.राजेन्द्र जी जबलपुर || विषय:-मोक्षमार्ग प्रकाशक (मोक्ष तत्त्व संबंधी भूल) || उदयपुर प्रवास||
#155. असली क्रोध किसे कहते हैं? | क्रोध का स्वरूप एवं निवारण | सप्तभंग शिविर दुर्ग, सुबह. 13.11
योगसार 185 आत्मा देखे बिना उसे कैसे स्वीकार करे
23/12/25 "श्री समयसार जी" गाथा-61आ.पं.श्री राजेन्द्र कुमार जैन जबलपुर
22/12/25"श्री मोक्षमार्ग प्रकाशक जी" चौथा अधिकार प्रयोजनभूत-अप्रयोजनभूत पदार्थ पं.श्री राजेंद्र जी
5.आ.पं.राजेन्द्र जी जबलपुर || विषय:- समयसार (गाथा-15 ) || उदयपुर प्रवास||
66 दिन दिव्य ध्वनि क्यों नहीं हुई | गणधर के बिना क्यों नहीं होती दिव्य ध्वनि || समयसागर जीमहाराज
मंगल प्रवचन आगम चक्रवर्ती निर्यापक श्रमन श्री 108 विद्यासागर जी महाराज 22/12/2025
जैसी भवितव्यता होती है, वैसे ही व्यवसाय, बुद्धि और कार्य हो जाते हैं | || Br. Pandit Ravindra Ji ||
Yogsar 157 लोकमूढ़ता छोड़ो परम्परा के नाम पर बोझा ढोना बंद करो