धर्म की राजनीति, लोकतंत्र में उचित नहीं...
Автор: BHIMtv
Загружено: 2025-10-29
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धर्म की राजनीति, लोकतंत्र में उचित नहीं... #मायावतीजी #bsp #mayawatiji #bahujanleader #up #babasaheb #india. #bsp_song #up
जितना सच यह है कि धर्म और राजनीति अलहदा चीजें हैं और इनका घालमेल भारत जैसे उदार और पंथनिरपेक्ष राष्ट्र और समाज के लिए कतई उचित नहीं है, उतनी ही सच्ची बात यह भी है कि भारत का सामाजिक तानाबाना बेहद मजबूत और सुदृढ़ है। कुछ फिरकापरस्त लोग भले ही अपने तुच्छ लाभ के लिए मौके का फायदा उठाकर समाज को बांटने-आपस में लड़ाने की कोशिश करते हों, लेकिन आज भी यात्रा आदि के दौरान मिल-बांटकर खाने खिलाने की रवायत जिंदा है। तब हम सब यह बिल्कुल नहीं पूछते या सोचते कि सामने बैठा व्यक्ति किस संप्रदाय, जाति या धर्म से है। ऐसे सौहाद्र्रपूर्ण समाज में कोई धर्मगुरु तथाकथित अशांत माहौल होने के लिए चिंतित दिखाई दे तो कई तरह के सवाल खड़े होने लाजिमी हो जाते हैं। पहली बात तो धर्मगुरुओं का काम राजनीति करना नहीं है। वे तो समाज को सही दिशा दिखाने का काम करते रहे हैं। अपने धर्म की बातें समाज को बताना-सिखाना, नेकी के रास्ते पर चलने की शिक्षा देते रहे हैं। इसीलिए रोमन कैथोलिक के दिल्ली के आर्कबिशप अनिल कुटो ने जब देश भर के पादरियों को इस आशय का पत्र लिखा कि इस समय देश का जो राजनीतिक माहौल है, उसने लोकतांत्रिक सिद्धांतों और देश की पंथनिरपेक्ष पहचान के लिए खतरा पैदा कर दिया है, तो विवाद खड़ा होना लाजिमी हो गया। ऐसे में समाज को जोड़ने का काम करने वाले एक धर्मगुरु के रूप में आर्कबिशप की इस गैरजरूरी चिंता के मायनों की पड़ताल आज सबके लिए बड़ा मुद्दा है।
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