Shyamveer Pahalwan आगरा ने जीता महोबा का सबसे ऐतिहासिक दंगल,UP का सबसे बड़ा ग्रामीण दंगल बना गंज गाँव
Автор: MAHOBA NEWS
Загружено: 2025-11-23
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उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के गंज गाँव में अमर शहीद बालेन्द्र सिंह की पावन जन्मभूमि पर स्थित सिद्ध बाबा प्रांगण में दो दिवसीय विशाल एवं ऐतिहासिक दंगल का रंगारंग समापन हो गया। यह दूसरा वर्ष था जब इस स्तर का भव्य कुश्ती आयोजन हुआ और इस बार इसका स्तर इतना ऊँचा हो गया कि पूरे देश के नामचीन पहलवान यहाँ पहुंचे। दंगल देखने के लिए आसपास के दर्जनों गाँवों से हजारों की संख्या में लोग उमड़े और पूरा गंज गाँव मेला जैसा नज़ारा पेश कर रहा था।
इस बार दंगल में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में देश के बड़े-बड़े पहलवान शामिल हुए। कानपुर के मशहूर सोनू पहलवान, कटप्पा पहलवान, मौसम अली पहलवान, आगरा के श्यामवीर पहलवान, दिल्ली के आशीष पहलवान सहित 150 से अधिक धुरंधर पहलवान अखाड़े में उतरे। इनके दांव-पेंच और जोर-आजमाइश देखकर दर्शक बार-बार तालियाँ बजाने को मजबूर हो गए। स्थानीय युवाओं में भी जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। कई युवा तो पहलवानों के साथ फोटो लेते नज़र आए।
दंगल का सबसे रोमांचक मुकाबला आखिरी कुश्ती थी जिसमें आगरा के श्यामवीर पहलवान ने शानदार प्रदर्शन करते हुए आशीष पहलवान को हराते हुए जीत हासिल की। उन्हें विजेता के रूप में 51,000 रुपये नकद और एक नई चमचमाती रॉयल इनफील्ड हंटर मोटरसाइकिल इनाम में दी गई। हर मुकाबले के विजेता को 51-51 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया, जिससे पहलवानों का जोश दोगुना हो गया।
दो दिवसीय दंगल का शुभारंभ उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सम्माननीय सदस्य जितेन्द्र सेंगर ने फीता काटकर और पूजा-अर्चना कर किया। उनके साथ मंच पर मुख्य संयोजक कोमल सिंह, प्रदेश हिन्दू महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष भगवान सिंह यादव, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अजय अग्निहोत्री सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
मुख्य संयोजक कोमल सिंह ने कहा,
“यह दंगल सिर्फ खेल नहीं, बल्कि अमर शहीद बालेन्द्र सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि है। हमारा लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में इसे उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा दंगल बनाया जाए।”
दिन में दंगल का रोमांच और रात में सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन। रात्रि में आयोजित भव्य रामलीला में भक्तिरस और शौर्यरस का अनुपम संगम देखने को मिला। हजारों दर्शक देर रात तक रामलीला देखते रहे।
ग्रामीणों का उत्साह, मेला जैसा माहौल
ढोल-नगाड़ों की गूँज, लड्डू-जलेबी की दुकानें, बच्चों का झूला-चरखी और अखाड़े में गूँजते जयकारे। पूरा गंज गाँव दो दिन तक उत्सव के रंग में डूबा रहा। बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक, हर कोई इस आयोजन की तारीफ करते नहीं थक रहा था।
गाँव के लोगों का कहना है,
“ऐसा दंगल और रामलीला का आयोजन हमारे गाँव की शान है। इससे हमारी नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़ने का मौका मिलता है।”
आयोजकों ने ऐलान किया है कि अगले साल यह दंगल और भी भव्य रूप में होगा और पूरे बुन्देलखण्ड ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश में इसकी चर्चा होगी।
प्रदेश हिंदू महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष भगवान सिंह यादव ने बताया
“गंज की यह धरती शौर्य की प्रतीक है। यहाँ आयोजित दंगल युवाओं में साहस, अनुशासन और खेल भावना को मजबूत करता है। हमने बड़े स्तर पर व्यवस्थाएँ की हैं ताकि कोई कमी न रहे। हमारा लक्ष्य है कि आने वाले वर्ष इसे प्रदेश का सबसे बड़ा दंगल बनाया जाए।”
वहीं प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अजय अग्निहोत्री ने कहा
“यह आयोजन सिर्फ खेल का नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। दंगल के साथ रात्रि में रामलीला का मंचन हमारे समाज को मर्यादा, धर्म और परंपरा से जोड़ता है। इस बार जिस तरह भीड़ उमड़ी है, वह गंज की पहचान को और ऊँचा उठाता है।”
इतना ही नहीं, सांस्कृतिक विरासत को जीवंत करने के उद्देश्य से रात्रि में रामलीला का भव्य मंचन भी किया जा रहा है। भक्तिरस और शौर्यरस से भरी रामलीला ने लोगों में आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ सामाजिक संदेश भी दिया।
गंज गाँव का माहौल आज एक उत्सव की तरह दिखाई दिया—चारों ओर भीड़, गूँजती हुई तालियाँ, ढोल-नगाड़ों की धुन और दंगल देखने पहुंचे हजारों दर्शकों का रोमांच।
ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह के आयोजन न केवल खेल को बढ़ावा देते हैं बल्कि महोबा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक छवि को भी मजबूत करते हैं।
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