कश्ती-ए-दिल | Lokendra Singh | Kashti-e-Dil | Romantic Poetry | लोकेन्द्र सिंह की खूबसूरत नज़्म
Автор: Apna Video Park
Загружено: 2025-11-08
Просмотров: 69
कवि लोकेन्द्र सिंह की यह रूमानी नज़्म 'कश्ती-ए-दिल' प्यार और समर्पण की गहराइयों को दर्शाती है। इस वीडियो में लोकेन्द्र सिंह जी अपनी दिलकश आवाज़ में इस बेहतरीन रचना को प्रस्तुत कर रहे हैं। कविता की हर पंक्ति में प्रेम की मासूमियत और दीवानगी झलकती है—खासतौर पर 'कश्ती-ए-दिल किनारों पर अच्छी नहीं लगती' और 'तुम्हारे बिना शाम सुहानी, अच्छी नहीं लगती' जैसी पंक्तियाँ सीधे दिल को छूती हैं।
कविता: कश्ती-ए-दिल (Kashti-e-Dil)
समंदर-ए-इश्क में उतरने की इजाजत दीजिए
कश्ती-ए-दिल किनारों पर अच्छी नहीं लगती।
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