शहीद लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग की मां - बहन ने 27वीं पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि,हमेशा याद रहेंगे।
Автор: RN NEWS LIVE
Загружено: 2025-08-05
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में कारगिल में शहादत देने वाले राष्ट्रपति द्वारा 'सेना मेडल' से सम्मानित गोरखा रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग के 27वीं पुण्य तिथि पर उन्हें याद किया गया |
कारगिल विजय के ठीक 10 दिन बाद 5 अगस्त 1999 को जम्मू कश्मीर के तंगधार में लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग दुश्मन सेना को पीछे ढकेलते हुए महज 25 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए।
3/4 गोरखा रेजिमेंट गोरखपुर के जवानों ने उन्हें याद किया और उन्हें सलामी दी। कार्यक्रम की शुरुआत शहीद की प्रतिमा पर उनकी माता पुष्पलता गुरुंग और बहन मीनाक्षी त्यागी द्वारा माल्यार्पण से हुई। सेना में ब्रिगेडियर और पिता रिटायर्ड ब्रिगेडियर पीएस गुरुंग हर साल यहां पर आकर उनकी पुण्यतिथि मनाते हैं।
शहीद को दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर भारत नेपाल मैत्री समाज की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में कूड़ाघाट स्थित शहीद ले. गौतम गुरुंग चौक पर देश के वीर सपूत को 3/4 गोरखा रेजिमेंट की ओर से मातमी धुन बजाकर शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। शहीद ले. गौतम गुरुंग का परिवार तीन पुश्त से भारतीय सेना में रहा है। परिवार के इकलौते बेटे रहे शहीद ले. गौतम गुरुंग को आज भी याद कर उनके पिता और गोरखा रेजिमेंट के जवानों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
23 साल की उम्र में शहीद हो गए थे ले. गौतम गुरुंग रिटायर्ड ब्रिगेडिर पीएस गुरुंग मूलतः नेपाल के रहने वाले हैं और उनके परिवार ने भारतीय सेना के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। वे अब उत्तराखंड के देहरादून में रहते हैं। उनका जन्म 23 अगस्त 1973 को देहरादून में हुआ था। वे 6 मार्च 1997 को उन्होंने पिता की बटालियन 3/4 गोरखा राइफल्स (चिन्डिटस) में कमीशन प्राप्त किया और प्रथम नियुक्ति जम्मू-कश्मीर सीमा पर हुई।
5 अगस्त 1999 को कारगिल युद्ध के समय जम्मू कश्मीर के #subscribe #rnnewslive #shortsviral #song #forest तंगधार में ले. गौतम गुरुंग 23 साल की उम्र में शहीद हो गए थे। 15 अगस्त 1999 को उन्हें महामहिम राष्ट्रपति के. आर. नारायणन द्वारा मरणोपरान्त ‘सेना मेडल’ से सम्मानित किया गया। उसके बाद से हर साल उनके शहादत दिवस पर यहां शहीद ले. गौतम गुरुंग चौक पर उन्हें याद किया जाता है।
इस अवसर पर देहरादून स्थित 3/4 जीआर यूनिट से आए नायब सूबेदार अजय घले, हवलदार सुनील थापा, नायक रवींद्र थापा, तिल बहादुर जरखा, संजीव गुरुंग आदि ने प्रतिमा स्थल की रंगाई एवं सफाई का कार्य स्वयं कर सम्मान प्रकट किया।
पूर्व ब्रिगेडियर पी.एस. गुरुंग ने शहीद पुत्र की स्मृति में अपनी पेंशन को ट्रस्ट में परिवर्तित कर आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की शिक्षा और खेल प्रशिक्षण में समर्पित किया है। यह ट्रस्ट आज भी लेफ्टिनेंट गुरुंग की जीवित स्मृति के रूप में कार्य कर रहा है।
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