Karan janm kand rap song | Karn kand
Автор: RudraFlow
Загружено: 2025-07-29
Просмотров: 1065
Karan janm kand rap song | Karn kand #viralvideo #VIR-vince#RAP
कर्ण का जन्म कांड (रैप)
यो, सुनो कहानी, ये है जन्म कांड की बात,
सूर्यपुत्र कर्ण की, जो था किस्मत का मात।
कुरुक्षेत्र से पहले, की बात ये पुरानी,
एक कवच-कुंडलधारी की, अनसुनी कहानी।
यो, ऋषि दुर्वासा ने दिया था वरदान,
कुंती को शक्ति मिली, अग्नि सा वो ज्ञान।
किसी भी देव को वो सकती बुला,
पुत्र पा सकती थी, ये था वर का सिला।
नादानी थी या थी बस एक भूल,
कुंती ने परखा मंत्र, ना सोचेगी वो फूल।
सूर्य देव आए, तेज उनका भारी,
लो, प्रकट हुए कर्ण, बात ये थी न्यारी।
कवच कुंडल संग, जन्मा वो महारथी,
पर थी वो कुंवारी, लोक-लाज की थी मति।
नदी में बहाया फिर, पत्थर का सहारा,
एक मां का दिल, कैसे ये सब स्वीकारा?
अधिरथ ने पाया, पाला उसको प्यार से,
सूतपुत्र बना वो, किस्मत के वार से।
पर तेज था उसका, अलग ही कहानी,
ये है कर्ण का जन्म, सुनो मेरी जुबानी!यो, सुनो कहानी, ये है कर्ण का जीवन,
एक योद्धा जिसकी किस्मत, ने किए थे कितने घुमावन।
सूर्यपुत्र वो, पर जन्मा था छुपकर,
कुंती का लाल, बहाया नदी में, रोकर।
सूतपुत्र से महारथी तक
अधिरथ ने पाया, सूतपुत्र कहलाया,
रंगभूमि में देखो, अर्जुन से टकराया।
द्रोण ने नकारा, विद्या देने से इंकार,
परशुराम ने सिखाया, शस्त्रों का हर वार।
शाप मिला भारी, जब रथचक्र फँसा,
नियति ने देखो, कैसा जाल था बुना।
मित्रता और दानवीरता
दुर्योधन ने दिया, अंगराज का मान,
उसकी दोस्ती निभाई, रखा हर एक अरमान।
दानवीर कहलाया, इंद्र को दिया कवच,
चाहे जीवन भी गया, ना टूटा वो वचन।
माँ कुंती से मिला, पर ना बदला वचन,
युद्ध के मैदान में, करता रहा अपना रण
कुरुक्षेत्र और अंतिम अध्याय
कुरुक्षेत्र की भूमि, जहाँ महाभारत मचा,
एकला लड़ा वो, कोई ना था सगा।
अपने ही भाई, थे उसके सामने,
अधर्म की राह पर, चलता रहा ज़माने।
चक्र फँसा रथ का, शाप भी भारी पड़ा,
अर्जुन के हाथों, आखिर वो वीर मरा।
र्ण था, कर्ण है, अमर उसकी गाथा,
त्याग और शौर्य की, लिख गया वो थाथा।यो, सुनो कहानी, ये है महारथी कर्ण की बात,
सूर्यपुत्र वो, जो था किस्मत का मात।
कवच-कुंडल संग, जन्मा वो बलवान,
पर सूतपुत्र कहलाया, ये कैसी थी पहचान?
गुरु द्रोण ने नकारा, विद्या देने से,
एकलव्य सा दर्द, था सीने में उसके।
परशुराम से सीखा, दिव्यास्त्रों का ज्ञान,
द्रोणाचार्य भी माने, उसका मान-सम्मान।
दुर्योधन ने दिया, अंगराज का मान,
उसकी दोस्ती निभाई, कभी न छोड़ा साथ।
कुरुक्षेत्र की रणभूमि, जब बजने लगी बाजी,
कौरवों की ढाल बना, वीरता से गाजदानवीर की पहचाकवच-कुंडल माँगे, इंद्र ने छल से,
जानते हुए भी दिया, ना मुकरा वचन से।
दानवीर कहलाया, चाहे जो भी हुआ,
इतिहास में नाम उसका, अमर हो गया
अर्जुन से भिड़ना, थी उसकी नियति,
शक्ति अमोघ भी मारी, ना छोड़ी अपनी प्रीति।
रथी था महान, पर दुर्भाग्य था भारी,
कर्ण था, कर्ण है, कहानी उसकी न्यारी।क्या आप कर्ण के बारे में और जानना चाहेंगे, या किसी और योद्धा पर रैप लिखवाना चाहेंगे?
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: