मनुष्य शरीर के भीतर तीन रस्ता है नरक, स्वर्ग और मोक्ष का आप कहां जाना पसंद करेंगे फैसला अभी कर लो |
Автор: Anokha darshan
Загружено: 2025-12-10
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मनुष्य शरीर के भीतर तीन रस्ता है नरक, स्वर्ग और मोक्ष का आप कहां जाना पसंद करेंगे फैसला अभी कर लो | नौहट्टा प्रखंड संतमत सत्संग का भव्य आयोजन | स्थान - नौहट्टा दुर्गा मंदिर प्रांगण जिला सहरसा | महर्षि वेदानंद जी महाराज काप्रवचन |
मनुष्य शरीर की विशेषता क्या है |
मनुष्य का शरीर पाने के लिए देवता भी तरसते |
सभी प्राणियों में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ है |
मनुष्य शरीर पाकर पशु बने हैं क्यों ?
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मनुष्य शरीर तीन रास्तों का संगम है — नरक, स्वर्ग और मोक्ष।
आज के इस दिव्य सत्संग में महर्षि वेदानंद जी महाराज यह बताते हैं कि जीवन की दिशा का निर्णय यही मनुष्य जन्म में होता है। यह वही अनमोल अवसर है, जहाँ से आत्मा चाहे तो अधोगति की ओर बढ़े, चाहे पुण्य के स्वर्गिक लोकों में पहुँच जाए, या फिर स्थायी शांति — मोक्ष — को प्राप्त कर ले।
🌸 मनुष्य शरीर की विशेषता क्या है?
सृष्टि के समस्त प्राणियों में मनुष्य ही ऐसा है जिसे विवेक, बुद्धि और ईश्वर-स्मरण की शक्ति मिली है। संतमत बताता है कि
"मनुष्य का शरीर पाकर ही आत्मा सत्य, नाम और परमात्मा की खोज कर सकती है।"
इसीलिए देवता भी मनुष्य जन्म की प्राप्ति के लिए तरसते हैं।
🌼 मनुष्य सर्वश्रेष्ठ क्यों?
क्योंकि मनुष्य ही अपने कर्म बदल सकता है।
मनुष्य ही ज्ञान सुनकर अपना जीवन रूपांतरित कर सकता है।
मनुष्य ही परमात्मा की ओर लौटने का रास्ता चुन सकता है।
और मनुष्य ही नाम-जप, साधना और भक्ति द्वारा मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
🐾 मनुष्य शरीर पाकर भी हम पशु क्यों बन जाते हैं?
जब मनुष्य अपना विवेक खो देता है,
जब क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार हावी हो जाते हैं,
जब सत्संग और सत्य की ओर से मन हट जाता है,
तब मनुष्य रहते हुए भी जीवन पशुवृत्ति वाला हो जाता है।
महर्षि वेदानंद जी महाराज इसी सत्य को अत्यंत सरल और हृदयस्पर्शी ढंग से समझाते हैं, जिससे मनुष्य अपने मूल स्वरूप को पहचान सके।
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📍 सत्संग का स्थान और आयोजन
📌 नौहट्टा प्रखंड संतमत सत्संग का भव्य आयोजन
📌 स्थान: नौहट्टा दुर्गा मंदिर प्रांगण, जिला सहरसा
📌 विशेष प्रवचन: महर्षि वेदानंद जी महाराज
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🌺 इस प्रवचन में आपको क्या मिलेगा:
नरक, स्वर्ग और मोक्ष — तीनों मार्गों की स्पष्ट समझ
मनुष्य जन्म का वास्तविक उद्देश्य
वर्तमान जीवन में सही चुनाव कैसे करें
साधना, भक्ति और नाम-जप की महिमा
मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने के उपाय
आत्मिक उन्नति और संतमत की अमूल्य शिक्षाएँ
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