35 साल के लाल आतंक का अंत, हिडमा की चिता जली, गांव में सन्नाटा | Exclusive Ground Report
Автор: abtakbastar
Загружено: 2025-11-20
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अल्लूरी सीताराम राजू–सुकमा सीमा पर मुठभेड़ में मारे गए कुख्यात माओवादी कमांडर हिडमा और उसकी पत्नी राजे (रजक्का) के शव जैसे ही उनके पैतृक गांव पूर्वती पहुंचे, गांव में जनसैलाब उमड़ पड़ा।
दर्जनों गांवों—मिन्नागट्टा, जब्बागट्टा,पालनार, गोलापल्ली, टेकलगुड़ा, रायगुड़ा और आसपास के सैकड़ों लोग हिडमा को देखने के लिए पहुंचे।
दोपहर में दोनों को एक ही चिता पर अंतिम विदाई दी गई।
गांव में ना नारे लगे, ना भीड़ में कोई शोर… बस तीन दशक की हिंसा और दहशत का अंत महसूस करने वाला सन्नाटा था।
इस ग्राउंड जीरो रिपोर्ट में—
✔ गांव का माहौल
✔ शवयात्रा का पूरा दृश्य
✔ परिजनों और ग्रामीणों की प्रतिक्रियाएं
✔ हिडमा की मौत पर उठते सवाल
✔ उसकी पत्नी राजे की पूरी पृष्ठभूमि
✔ और उन घटनाओं की यादें, जिनसे हिडमा का नाम पूरे बस्तर में भय का प्रतीक बना
पूरी रिपोर्ट अब देखें — यह सिर्फ एक अंतिम संस्कार नहीं, बल्कि लाल आतंक के सबसे हिंसक अध्याय का अंत है।
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