bathu ki ladi temple || bathu ki ladi history || bathu ki ladi temple himachal pradesh ||
Автор: Arun Kumar
Загружено: 2025-06-03
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Bathu ki ladi temple history मंदिर की स्थापना
ऐसा माना जाता है कि बाथू मंदिर की स्थापना छठी शताब्दी में गुलेरिया साम्राज्य के समय की गई थी। हालांकि, इस मंदिर के निर्माण के पीछे कई किवदंतियां प्रचलित हैं। कुछ लोग इसे पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान बनाया गया मानते हैं। कहा जाता है कि स्वयं पांडवों ने इसका निर्माण किया था। उन्होंने अपने अज्ञातवास के दौरान शिवलिंग की स्थापना की थी। उन्होंने इस मंदिर के साथ स्तंभी की अनुकृति जैसा भवन बनाकर स्वर्ग तक जाने के लिए पृथ्वी से सीढ़ियां भी बनाई थीं जिनका निर्माण उन्हें एक रात में करना था। एक रात में स्वर्ग तक सीढिय़ां बनाना कोई आसान कार्य नहीं था, इसके लिए उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से मदद की गुहार लगाई, फलस्वरूप भगवान श्रीकृष्ण ने 6 महीने की एक रात कर दी लेकिन 6 महीने की रात में स्वर्ग की सीढिय़ां बनकर तैयार न हो सकीं, सिर्फ अढ़ाई सीढिय़ों से उनका कार्य अधूरा रह गया था और सुबह हो गई।
आज भी इस मंदिर में स्वर्ग की ओर जाने वाली सीढ़ियां नजर आती हैं वर्तमान समय में इस मंदिर में स्वर्ग की 40 सीढ़ियां मौजूद हैं जिन्हें लोग आस्था के साथ पूजते हैं। यहां से कुछ दूरी पर एक पत्थर मौजूद है, जिसे भीम द्वारा फैंका गया माना जाता है। कहा जाता है कि कंकड़ मारने से इस पत्थर से खून निकलता है। इस मंदिर के बारे में ऐसे सारे राज यहां दफन हैं।
पक्षी अभ्यारण्य के रूप में आरक्षित क्षेत्र
ये सारा इलाका भारत सरकार द्वारा प्रवासी पक्षियों के आश्रय के लिए पक्षी अभयारण्य या आर्द्रभूमि (वैटलैंड) के रूप में संरक्षित है जिसमें किसी भी तरह का भवन निर्माण वर्जित है। पक्षियों पर अध्ययन के लिए आने वाले छात्रों, वैज्ञानिकों या प्रकृति प्रेमियों के लिए ये सबसे उत्तम जगह है। विदेशी सैलानियों का यहां आना-जाना लगा रहता है। खुले मैदान को पार करके जलाशय के तट पर पहुंच कर वहां का नजारा देखते ही बनता है। जलाशय में उठने वाली लहरें समुद्र तट जैसा रोमांच अनुभव करवाती हैं। अप्रैल से जून के महीनों में इस मंदिर के दर्शन के लिए उत्तम हैं। शेष 8 महीने तक ये मंदिर पानी में जलमग्न रहता है, तो उस दौरान इस मंदिर का ऊपरी हिस्सा ही दिखाई देता है। इस मंदिर के आसपास कुछ छोटे-छोटे टापू बने हुए हैं, इनमें से एक पर्यटन की दृष्टि से प्रसिद्ध है जिसे रेनसर के नाम से जाना जाता है। इसमें रेनसर के फोरैस्ट विभाग के कुछ रिजॉर्टस हैं जहां पर्यटकों के रुकने और रहने की उचित व्यवस्था है।
मंदिर के आसपास का नजारा बेहद मनोरम है जिसकी ओर कोई भी आकर्षित हो जाए। चारों तरफ पानी और बीच में मंदिरों का समूह बेहद खूबसूरत नजर आता है। मंदिर स्थल से हिमालय की धौलाधार श्रृंखला का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। बाथू की लड़ी से पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। प्रतिदिन लोग हजारों की तादाद में यहां जाते हैं। देखा जा रहा है कि लोग बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के झील के पानी में नहाने उतर जाते हैं। लोगों में वहां स्थित लगभग 50 मीटर ऊंची मीनार पर चढ़ कर फोटो खिंचवाने का जुनून आए दिन किसी हादसे को न्यौता देता रहा है
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