लौरिया मेला । पश्चिमी चंपारण । बिहार । Vlog..
Автор: 🦸♀️नितंजय Kumar
Загружено: 2025-12-15
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@nitanjaykumar7199
#लौरिया मेला बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के लौरिया नंदनगढ़ में आयोजित होने वाला एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उत्सव है। यह मेला विशेष रूप से सम्राट अशोक द्वारा निर्मित अशोक स्तंभ के पास आयोजित किया जाता है।
लौरिया मेले की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
समय और अवधि: यह मेला प्रतिवर्ष हिंदी कैलेंडर के अनुसार अगहन मास की त्रयोदशी (तेरस) से शुरू होता है और लगभग दो महीने तक चलता है। 2025 में, अगहन मास का समय नवंबर-दिसंबर के आसपास होता है।
ऐतिहासिक महत्व: यह मेला मौर्यकालीन इतिहास से जुड़ा है। स्थानीय लोग अशोक स्तंभ को 'लौर बाबा' के रूप में पूजते हैं। मेले के दौरान महिलाएं स्तंभ पर 'पूड़ी' और 'लप्सी' का भोग चढ़ाती हैं, जिसे स्थानीय भाषा में '#कड़ाही चढ़ाना' कहा जाता है।
पशु मेला: पारंपरिक रूप से यह एक पशु मेला रहा है, जहाँ मवेशियों की #खरीद-बिक्री होती थी। हालांकि, बदलते समय के साथ अब यह एक 'फैंसी मेला' के रूप में अधिक प्रसिद्ध हो गया है।
व्यापार: यह मेला अपने गर्म कपड़ों और फर्नीचर के सामानों के लिए पूरे बिहार में विख्यात है। स्थानीय हस्तशिल्प और घरेलू उपयोग की वस्तुओं की यहाँ बड़ी मंडी लगती है।
स्थान: यह मेला बूढ़ी गंडक नदी के पास, बेतिया से लगभग 28 किमी दूर स्थित लौरिया नंदनगढ़ के मेला ग्राउंड में लगता है।
मेले के दौरान बिहार पर्यटन और स्थानीय प्रशासन द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों और महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
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