राधा रानी की सबसे सुंदर भव्य महा आरती | Aarti Bhanudulari Ki by Jagadguru Kripalu Ji | Kirti Mandir
Автор: DIVYA_BHAKTIvibe
Загружено: 2025-12-05
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Aarti Bhanudulari Ki by Jagadguru Kripalu Ji | Kirti Mandir
आरती भानुदुलारी की, कि श्री बरसाने वारी की ।
Let's welcome our Radha Rani with this amazing Maha Aarti. This aarti is written and composed by Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj.
आइए अपनी राधा रानी का अभिनन्दन इस अत्यंत ही सुन्दर महा आरती से करें। यह आरती जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा लिखित और रचित है।
आरती भानुदुलारी की, कि श्री बरसाने वारी की ।
विराजैं सिंहासन श्यामा,
दिव्य श्री वृंदावन धामा,
ढुरावैं चँवर सुघर बामा,
पलोटैं पग पूरन कामा,
ललीपग अंक, चापि निःशंक, श्याम जनुरंक,
पाइ निधि पारस प्यारी की ।
गौरसिर कनक मुकुट राजै,
चंद्रिका चारु सुछवि छाजै,
कुटिल कुंतल अलि भल भ्राजै,
लखत जेहि शिखि कलाप लाजै,
माँग सिंदूर , मोतियनपूर , सजीवन मूर ,
ब्रह्म गोवर्धनधारी की ।
श्रवण बिच करणफूल झलकै,
नासिका बिच बेसर हलकै,
नयन बिच प्रेम - सुधा छलकै,
बंधु बल के लखि लखि ललकै,
चपलनथ - चमक, दसन - दुति - दमक, सुमुखि - मुख - रमक,
मधुर मुसकनि सुकुमारी की ।
मोतियन लर उर मणि माला,
चिबुक झलकत इक तिल काला,
शंभु शुक दै सँग करताला,
लली गुन गावति ब्रजबाला,
कबहुँ मुख मुरनि, कबहुँ दृग दुरनि, कबहुँ दृग जुरनि,
कबहुँ सुधि भुरनि बिहारी की ।
किनारिन जरिन नील सारी,
कंचुकी कुमकुम रँग वारी,
चुरी कर कंकन मनहारी,
छीन कटि किंकिनि छवि न्यारी,
पायलनि पगनि, मिहावरि लगनि, बीछुवनि नगनि,
‘ कृपालु ’ सुकीर्ति कुमारी की ।।
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जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज का संक्षिप्त परिचय
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज को काशी विद्वत् परिषद् द्वारा 14 जनवरी, सन् 1957 में जगद्गुरु की मूल उपाधि से विभूषित किया गया। आपने 'प्रेम रस मदिरा', 'प्रेम रस सिद्धांत' और 'राधा गोविन्द गीत' जैसे अनेक दिव्य ग्रंथों की रचना की है जो संपूर्ण विश्व को भक्ति करने की सही राह दिखा रहे हैं। आपके द्वारा विश्व को दी गई अनमोल धरोहरों में भक्ति धाम मनगढ़ स्थित - भक्ति मंदिर, वृन्दावन धाम स्थित - प्रेम मंदिर और बरसाना धाम स्थित - कीर्ति मंदिर आदि प्रमुख हैं।
A brief introduction of Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj
The original title of Jagadguruttam (‘Greatest Spiritual Teacher of the World' ) was bestowed upon Shri Kripalu Ji Maharaj on January 14, 1957, by 'Kashi Vidvat Parishad' (a council of 500 greatest scholars & saints of India). He composed divine texts like 'Prem Ras Madira', 'Prem Ras Siddhant' and 'Radha Govind Geet' to lead us on the right path of devotion. He also gave priceless monuments as gifts to the world which include - Bhakti Mandir located in Bhakti Dham, Mangarh, Prem Mandir located in Vrindavan Dham, Kirti Mandir located in Barsana Dham..
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