“भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 7 | दुर्योधन का गर्व और भय – धर्मयुद्ध का आरंभ” Bhagwat Geeta Geeta Gyan
Автор: PanditAmar12
Загружено: 2025-10-25
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जय श्री कृष्णा
राधे रधे
राधे कृष्णा
प्रेम से बोलो राधे कृष्णा
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Description:
इस कथा में दुर्योधन अपने गुरु द्रोणाचार्य के सामने अपनी सेना के महान योद्धाओं का वर्णन करता है।
वह कहता है — "हे ब्राह्मणश्रेष्ठ, मेरी सेना में भी अनेक महान योद्धा हैं!"
परंतु उसके शब्दों में छिपा है डर — धर्म के विरुद्ध खड़े होने का डर।
यह श्लोक हमें सिखाता है कि अहंकार जब भय को ढकने लगता है,
तो मनुष्य स्वयं अपने पतन की ओर बढ़ता है।
📖 *श्लोक 7:*
"अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।
नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते॥"
✨ *कथा का संदेश:*
धर्म का साथ सदैव अंत में विजय दिलाता है।
अहंकार के क्षणिक गर्व से ऊपर है सत्य की शक्ति।
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