Dhananjaybhai Vyas Official is live
Автор: Dhananjaybhai Vyas Official
Загружено: 2025-11-21
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आचार्य धनंजयभाई व्यास,
आपका जन्म 18 दिसंबर 1971 की सायं वेला में, गुजरात के मेहसाणा जिले के धिनोज ग्राम में हुआ। माता पू.मंदाकिनी एवं पिता पू. श्री प्रवीणचंद्र जी के पुण्य एवं संस्कारों के कारण, बाल्यावस्था से ही भक्तिभाव एवं संस्कृत भाषा में अभिरुचि बढ़ने लगी थी, जिसका पोषण परम पूज्य विश्ववंदनीय प्रातःस्मरणीय, श्री कृष्णशंकर शास्त्रीजी (पू.दादाजी) द्वारा स्थापित, श्री भागवत विद्यापीठ, सोला, अमदावाद, के गुरुकुल में प.पू. रामदास कौण्डिन्यजी एवं तत्कालीन अन्य अध्यापकों द्वारा हुआ। जहां आपने ८ वर्ष तक संस्कृत के शास्त्रों का एवं श्रीमद् भागवत महापुराण का गहन अध्ययन करके, शास्त्री/आचार्य इत्यादि पदवी तो प्राप्त की, साथ ही परम पूज्य वल्लभ-कुलभूषण अति प्रतापवान् गोस्वामी 108 श्री व्रजरायजी महाराजश्री (नटवर गोपाल) के द्वारा वल्लभ दीक्षा से दीक्षित हुए।
अल्प आयु में ही शास्त्रों के अध्ययन के पश्चात्,मुंबई के सोमैया भारतीय-संस्कृति-पीठम् में भारतीय संस्कृति से संबंधित ग्रन्थों का अभ्यास किया। 'ज्ञान का कोई अन्त नहीं' इस उक्ति को ध्यान में रखते हुए, पुनः अन्यान्य विषयों से, भारतीय विद्याभवन, मुंबई से भी शास्त्री/आचार्य इत्यादि पदवी प्राप्त हुई। अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धाओं में सफल भाग लिया।
"सोमैया सुरभारती प्रतिष्ठानम्" नामक संस्था में तीन वर्ष, प्रधान कार्यदर्शी के रूप में कार्य निभाते हुए, कई सेमिनार कॉन्फ्रेंस आदि में भाग लिया और सभाध्यक्ष के रूप में भी सेवाएं प्रदान की।
प्रभु की इच्छा यह थी की, 16 वे वर्ष पर प्रारंभ की हुई भागवत कथा की यात्रा को आगे बढायें, अतः सभी कार्यकलापों को समेट कर, इसी कार्य में लग गए ।
प्रारम्भावस्था में यज्ञ-यागादि में व्यस्तता रही, किन्तु अन्ततो गत्वा आपका भगवद् कथा, वेद, वेदान्त, उपनिषद् आदि पर प्रवचन, श्रीमद् भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत, रामायण,श्री वल्लभ वाक्सुधारूप पुष्टिमार्गीय ग्रंथों से संबंधित कथाओं में ही पर्यवसान हो गया।
13 से अधिक वर्षों तक माटुंगा गुजराती स्त्री मंडल में, प्रति सप्ताह स्वाध्याय प्रवचन चला रहा।
इ.स. २००६ के "कथाकार मिलन - त्रिवेणी" में गणमान्य कथाकारों की उपस्थिति में, परम पूज्य श्री मुरारी बापू के करकमलों से आपका सम्मान हुआ।
२०२० में "श्रीभागवत कौस्तुभ" नामक अवार्ड प्राप्त हुआ।
२०२३ के अगस्त में, पूज्य मुरारी बापू द्वारा "व्यास अवार्ड" से सम्मानित किए गए।
आज पर्यन्त श्रीमद् भागवत की ३०० कथाएं एवं १२०० से अधिक प्रवचन हुए हैं।
आप संस्कृत, हिंदी, गुजराती, मराठी एवं अंग्रेजी भाषा के ज्ञाता है।
साहित्य शास्त्री, साहित्याचार्य, व्याकरण शास्त्री, धर्मशास्त्र-वेदांत आचार्य (M.A. with sanskrit) संस्कृतिभूषण, संस्कृत-विशारद ।
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