Gandhi Ji Ke Teen Bandar | राजनीति पर करारा व्यंग्य | Samod Singh Commando New Song
Автор: Commando Kavy Darpan
Загружено: 2025-12-04
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गांधी जी के तीन बन्दर जो कभी अच्छाई का प्रतीक थे, आज राजनीति के बाजार में क्या कर रहे हैं? सुनिए श्री समोद सिंह कमांडो की कलम से निकला यह तीखा व्यंग्य जो आज की राजनीतिक स्थिति की कड़वी सच्चाई बयां करता है।
[Video Highlights]--
यह गीत राजनीति, नेताओं के दोगलेपन और समाज में फैली नफरत पर एक कटाक्ष है। 'कमांडो काव्य दर्पण' आपके लिए लाया है यह विशेष प्रस्तुति।
[Credits/Song Details]--
✍️ Lyrics/Poet: Shri Samod Singh Commando
🎵 Music & Video: Vinod Chaudhary
📺 Channel: Commando Kavya Darpan
[Lyrics - गाने के बोल]--
गांधी जी के तीनों बन्दर, आये हैं बाजार में ।
तीनों के तन तर्र्म तर हैं, राजनीति के प्यार में ।।
गांधी जी के तीनों बन्दर, आये हैं बाजार में...
आँख बन्द हैं कान बन्द हैं, लच्छेदार जुबान है,
चौसर वाली कटु चालों में, कैद सभी की जान है ।
नफ़रत के अंकुर बोने को, तीनों ही मजबूर हैं,
प्यार मुहब्बत वाले पथ से, बन्दर कोसों दूर हैं ।
शारीरिक संरचना है देखो, जयचंदी आकार में...
गांधी जी के तीनों बन्दर, आये हैं बाजार में ।।
पहले बन्दर की आंखों में, लालच भरी लकीर है,
और दूसरे के हाथों में, दोधारी शमशीर है ।
बीच बजरिया नाच रहा है, बहरा बनकर तीसरा,
तीनों मिलकर इक दूजे पर, फोड़ रहे हैं ठीकरा ।
चौथा बंदर सोच रहा है, जायज़ है सब वार में ?
गांधी जी के तीनों बन्दर, आये हैं बाजार में ।।
तीनों बंदर सोच रहे हैं, फिर से ना मिस्टेक हो,
स्वाद भले ही अलग अलग हों, टेबल सबकी एक हो ।
कौन भलाई देगा हमको, कौन भरेगा हौसला,
कौन बुरा है इस दुनियां में, कौन करेगा फैसला ।
कौन चरौरा साथ चलेगा, सत्तर की रफ्तार में...
गांधी जी के तीनों बन्दर, आये हैं बाजार में ।।
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