फूलन देवी : बीहड़ से संसद तक का सफर /
Автор: History Ki Mystery
Загружено: 2024-12-21
Просмотров: 672
Phoolan Devi : बीहड़ से संसद तक का सफर || फूलन देवी : बीहड़ से संसद तक का सफर / #Phoolan Devi #Chambal
यह भी देखें
गांधी जी ने भगत सिंह को फाँसी से क्यों नहीं बचाया ?
• महात्मा गांधी ने भगत सिंह को फांसी से क्यो...
खजुराहों मंदिर बनाने के पीछे का रहस्य - • क्या तंत्र से जुड़ा है खजुराहो की कामुक मू...
मुग़ल कौन थे ? जाने हर एक बात - • मुग़ल कौन थे ? || Who were the Mughals ? 4K...
जाने भारत में यहाँ लिया जाता था महिलाओं से स्तन टैक्स।
/ 5mng5avph2
महाराणा प्रताप का इतिहास, अकबर से भी नहीं डरते थे - • महाराणा प्रताप का इतिहास/ History of Mahar...
जाने टिपू हिन्दू विरोधी था या अंग्रेजों का विरोधी ?- • टीपू सुल्तान हिन्दू विरोधी था या अंग्रेजों...
क्या है रज़िया की प्रेम कहानी ?
• क्या है रजिया सुल्तान और हब्शी याकूब की प्...
मुग़ल साम्राज्य की सबसे शक्तिशाली महिला।
• #Mughal साम्राज्य की सबसे शक्तिशाली महिला/...
कट्टर औरंगजेब को हो गया था एक दासी से प्यार।
• कट्टर औरंगजेब को हो गया था एक दासी से प्या...
कामाख्या मंदिर का ऐसा रहस्य जिसे जानकर हैरानी होगी।
• कामख्या देवी की तंत्र उपासना | Kamakhya De...
Credits:
म्यूजिक- https://www.bensound.com/
Follow us on our social media platforms:
Facebook: / historykimystery
Instagram: / historykimystery
Twitter: / hkmoriginal
Disclaimer
--------------
कुछ तस्वीरों का इस्तेमाल केवल उन चरित्रों, तथ्यों और कहानी को समझाने के उद्देश्य से किया गया है, सभी तस्वीर उस चरित्र की वास्तविक तस्वीर नहीं है।
Some content are used for educational purpose under fair use.
Copyright Disclaimer under section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, education and research.Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
एक मासूम लड़की जिसने बहुत कम उम्र में शोषण, ज़ुल्म और ज़लालत को सहा और बदले की आग ने उसके हाथों में बन्दूक थमा दी। हम बात कर रहे हैं फूलन देवी की।समय ने करवट ली और यही फूलन देवी चंबल से लेकर संसद तक का सफर तय करती हैं।आगे चलकर सन 2011 में प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रकाशित अपने अंक में फूलन देवी को इतिहास की 16 सबसे विद्रोही महिलाओं की सूची में चौथे नंबर पर रखा। इस अंक में टाइम मैगजीन ने फूलन देवी के बारे में लिखा कि उन्हें भारतीय गरीबों के संघर्ष को आवाज देने के रूप में याद किया जाएगा
उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद के गांव घूरा का पुरवा में 10 अगस्त 1963 को मल्लाह परिवार में देवीदीन और मूला देवी के घर जन्मी नन्ही फूलन जुल्म सहते-सहते कब बैंडिट क्वीन बन गई, उसे खुद भी पता नहीं चला। दस साल की उम्र में शादी हो जाने पर अधेड़ पति की दरिंदगी सहते हुए वह किसी तरह भाग निकली और गांव आकर जुल्म करने वालों के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की। इससे वह डकैतों तक जा पहुंची और सरदार बाबू गुज्जर और विक्रम मल्लाह के गिरोह के हाथ लग गई।
फूलन को लेकर बढ़ी तकरार में गुज्जर को मारकर विक्रम मल्लाह सरदार बन गया था।
इस बीच ठाकुरों की एक गैंग द्वारा फूलन काे जबरन उठाकर बेहमई गांव में कई दिन तक सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उन्हें निर्वस्त्र गांव में घुमाया गया, भूखे प्यासे रखा गया। इस अपमान का बदला लेने की खातिर फूलन बीहड़ की तरफ चली गईं और बंदूक उठा ली।
14 फरवरी 1981 को फूलनदेवी ने बेहमई गांव के कुएं पर बीस ऊंची जाति के लोगों को कतार में खड़ा करके गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतारा तो देश दुनिया में बैंडिट क्वीन के नाम से सुर्खियों में छा गई।
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीहड़ों में सक्रिय फूलन देवी को पकड़ने के लिए इन दोनों जगहों की सरकार और प्रतिद्वंदी गिरोहों ने बहुत कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सके। इस बीच फूलन का नजदीकी साथी विक्रम मल्लाह मारा गया जिसके बाद फूलन कमजोर पड़ने लगीं।फूलन भी भागते भागते बीहड़ की जिंदगी से ऊबने लगी थी हालांकि उनको डर था कि आत्मसमर्पण करने की स्थिति में पुलिस उनको और उनके साथियों को कहीं मार ना दे और उनके परिवार के लोगों और समर्थकों को नुकसान न पहुंचाएं।कांग्रेस की सरकार में उन्होंने मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की उपस्थिति में 12 फरवरी 1983 को इस समझौते के तहत अपने दर्जनभर समर्थकों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया कि उनको मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा।उनके आत्मसमर्पण के समय उनके हजारों समर्थक मौजूद थे।जेल में रहते हुए भी फूलन देवी ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन वो चुनाव हार गईं।बिना मुकदमा चलाए फूलन देवी ने 11 साल तक जेल में जीवन बिताया।सन 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने उन्हें जेल से रिहा कर दिया।बाद में उन पर बैंडिट क्वीन नाम से एक फिल्म भी बनी जिसने उन्हें काफी प्रसिद्धि और सहानुभूति दिलाई।
अपनी रिहाई के बाद फूलन देवी ने धम्म का रास्ता अपनाते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया।उन्होंने एकलव्य सेना का भी गठन किया। समाजवादी पार्टी ने जब उन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया तो काफी हो हल्ला हुआ कि एक डाकू को संसद में पहुंचाने का रास्ता दिखाया जा रहा है लेकिन चुनाव में उतरी फूलन देवी को लोगों का प्यार मिला वह दो बार सांसद रहीं।
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: