[Mankiw principles of economics 32] 32. खुली_अर्थव्यवस्था__महान_संतुलन
Автор: UPSC Economimst
Загружено: 2025-10-04
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यह वीडियो खुली अर्थव्यवस्था में व्यापार और पूंजी के वैश्विक प्रवाह और उनके बीच संतुलन के बारे में है।
1. व्यापार की दुनिया: बंद अर्थव्यवस्था से खुली अर्थव्यवस्था तक
यह खंड [01:07] खुली अर्थव्यवस्था की अवधारणा को एक व्यस्त बंदरगाह के रूप में समझाता है, जहाँ न केवल सामान और सेवाएँ बल्कि स्टॉक और बॉन्ड जैसे वित्तीय एसेट्स (परिसंपत्तियाँ) का भी व्यापार होता है। [01:35]
2. दो वैश्विक प्रवाह: माल बनाम पूंजी
यहां दो मुख्य वैश्विक प्रवाहों को समझाया गया है:
नेट एक्सपोर्ट्स (NX): [02:15] यह एक देश के निर्यात के मूल्य में से उसके आयात के मूल्य को घटाकर निकाला जाता है। यदि यह सकारात्मक है, तो व्यापार अधिशेष (trade surplus) होता है, और यदि नकारात्मक है, तो व्यापार घाटा (trade deficit) होता है।
नेट कैपिटल आउटफ्लो (NCO): [02:42] यह देश के निवासियों द्वारा विदेशी संपत्ति की खरीद में से विदेशियों द्वारा घरेलू संपत्ति की खरीद को घटाकर निकाला जाता है। यदि एन सीओ सकारात्मक है, तो देश बाहर ज़्यादा निवेश कर रहा है; यदि नकारात्मक है, तो देश में बाहर से ज़्यादा निवेश आ रहा है।
3. महान संतुलन: दो प्रवाह कैसे संबंधित हैं
सबसे महत्वपूर्ण संबंध यह है कि NX हमेशा NCO के बराबर होता है (NX = NCO)। [03:26] यह कोई संयोग नहीं बल्कि एक अकाउंटिंग आइडेंटिटी है, क्योंकि हर अंतरराष्ट्रीय लेन-देन में एक चीज़ बाहर जाती है और उसके बदले में दूसरी चीज़ अंदर आती है। [03:57] एक अमेरिकी डिजाइनर द्वारा जर्मनी के क्लाइंट के लिए वेबसाइट बनाने का उदाहरण देकर इसे सरल तरीके से समझाया गया है, जहाँ NX और NCO दोनों बढ़ जाते हैं।
इसके अलावा, [04:37] किसी देश की कुल बचत (S) हमेशा उसके घरेलू निवेश (I) और नेट कैपिटल आउटफ्लो (NCO) के योग के बराबर होती है (S = I + NCO)। [05:09] 1980 के बाद अमेरिका के उदाहरण से समझाया गया है कि जब बचत निवेश से कम हो गई, तो एन सीओ नकारात्मक हो गया, जिससे व्यापार घाटा बढ़ गया, यह दर्शाता है कि सब कुछ एक-दूसरे से कैसे जुड़ा हुआ है।
4. व्यापार का मूल्य निर्धारण: विनिमय दरों को समझना
इस खंड में विनिमय दरों (exchange rates) को समझाया गया है।
मुद्रा की मज़बूती और कमज़ोरी: [06:03] जब कोई मुद्रा मज़बूत होती है (appreciates), तो उसकी वैल्यू बढ़ती है और आप उसी पैसे में ज़्यादा विदेशी सामान खरीद सकते हैं। जब कोई मुद्रा कमज़ोर होती है (depreciates), तो उसकी वैल्यू घट जाती है और आप उसी पैसे में पहले से कम विदेशी सामान खरीद पाते हैं।
क्रय-शक्ति समता (PPP): [06:27] यह एक सिद्धांत है जो कहता है कि किसी भी करेंसी की एक यूनिट से आप दुनिया के किसी भी देश में जाएँ, आपको बराबर मात्रा में सामान मिलना चाहिए (लॉ ऑफ़ वन प्राइस)। हालांकि, [06:59] इस सिद्धांत की कुछ सीमाएँ हैं क्योंकि सभी वस्तुओं का व्यापार आसानी से नहीं हो सकता (जैसे हेयरकट) और व्यापार योग्य वस्तुएँ हमेशा सही विकल्प नहीं होतीं (जैसे जर्मन बनाम अमेरिकी कारें)।
निष्कर्ष:
अंत में, वीडियो इस सवाल पर लौटता है कि [07:27] क्या व्यापार घाटा हमेशा एक बुरी बात है। इसका जवाब सीधा हां या ना में नहीं है। व्यापार घाटा खुद में अच्छा या बुरा नहीं होता, बल्कि यह देश की बचत और निवेश के बीच संबंध का एक लक्षण है। [08:03] एक मज़बूत डॉलर अर्थव्यवस्था में सभी के लिए अच्छा नहीं होता है, क्योंकि मैक्रोइकॉनॉमिक्स में हमेशा ट्रेड-ऑफ्स होते हैं।
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