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ETF Explained in Hindi || What are Exchange Traded Funds?

Автор: Easy Loans Guide

Загружено: 2022-07-24

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ETF for beginners

शेयर बाजार और म्‍यूचुअल फंड में निवेश करने वालों ने अक्‍सर ETF यानी एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड के बारे में सुना होगा. आजकल यह काफी लोकप्रिय हो रहा है और म्‍यूचुअल फंड कंपनियां भी लगातार नए-नए ETF बाजार में लांच कर रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ETF है क्‍या और यह कैसे काम करता है.एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ में निवेश आजकल काफी लोकप्रिय हो रहा है. इसमें किसी स्‍टॉक की तुलना में काफी कम जोखिम रहता है और एक्‍सपेंस रेशियो कम होने की वजह से यह किफायती निवेश विकल्‍प बन जाता है. एक सही ETF का चुनाव करना भी कई मायनों में समझदारी का काम है.

जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है ETF किसी एक्‍सचेंज के साथ ट्रेडिंग करने की सुविधा देता है. वैसे तो यह एक तरह का म्‍यूचुअल फंड ही है, जिसमें कई तरह के डेट विकल्‍पों और बांड का बंच होता है. लेकिन म्‍यूचुअल फंड और ETF में बेसिक अंतर ये है कि इसे सिर्फ स्‍टॉक एक्‍सचेंज से ही खरीदा या बेचा जा सकता है. एक निवेशक के रूप में जैसे आप एक्‍सचेंज पर कारोबार के दौरान शेयरों की खरीद-फरोख्‍त करते हैं, उसी तरह ETF में भी कारोबारी घंटों के दौरान ही ट्रेडिंग हो सकती है.

भारत में तेजी से बढ़ रहा ETF में निवेश
देश के भीतर पिछले पांच साल में ETF का एयूएम 65 फीसदी सीएजीआर की दर से बढ़ा है. वित्‍तवर्ष 2015-16 में जहां कुल एयूएम में ETF की हिस्‍सेदारी 2 फीसदी थी, वहीं यह 2020-21 में बढ़कर 10 फीसदी हो गई. ETF में सबसे ज्‍यादा निवेश ईपीएफओ जैसे संस्‍थागत निवेशकों का है. भारत ही नहीं दुनियाभर में ETF लोकप्रिय हो रहा है, क्‍योंकि पिछले 10 साल में ग्‍लोबल मार्केट में ETF का सीएजीआर 19% की दर से बढ़ा है.

कैसे काम करता है ETF
आपको पता है कि भारत में दो एक्‍सचेंज ट्रेडिंग कराते हैं, बीएसई और एनएसई. इन दोनों एक्‍सचेंज का जैसा प्रदर्शन रहेगा, ETF भी उसी अनुपात में अपने निवेशकों को रिटर्न देते हैं. यानी अगर एक्‍सचेंज पर गिरावट आई तो पूरे ईटीएफ पर असर पड़ेगा. ETF में सिर्फ इक्विटी ही नहीं बल्कि डेट विकल्‍पों के भी तमाम फंड शामिल होते हैं. 2021 में बीएसई और एनएसई ने बड़ी बढ़त बनाई थी, जिससे ETF में निवेश करने वालों को भी बंपर मुनाफा हुआ था. ETF में स्‍टॉक्‍स और फंड के अलावा गोल्‍ड भी शामिल होता है.
इस तरह, अगर आप फिजिकल रूप में सोना नहीं खरीदना चाहते और सोने निवेश का फायदा भी लेना चाहते हैं तो ETF बेहतर विकल्‍प बन सकता है. गोल्‍ड ETF में निवेश पिछले कुछ समय से तेजी से बढ़ रहा, जिसका बड़ा कारण इसमें जोखिम कम होना है. ETF का एक्‍सपेंस रेशियो काफी कम (0.6% के आसपास) होता है, जिससे यह बेहतर निवेश विकल्‍प बन जाता है.

एक बेहतर etf कैसे चुनें
-ETF के लिए सबसे जरूरी पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्‍योरिटीज है, क्‍योंकि रिटर्न इसके प्रदर्शन पर आधारित होता है.-ETF में सिर्फ इक्विटी के बजाए सभी एसेट क्‍लास होने चाहिए, जिसमें बांड, सिक्‍योरिटीज और गोल्‍ड भी शामिल है.-निवेशकों को लिक्विडिटी, लो एक्सपेंस रेशियो, लो इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज पर सबसे ज्‍यादा ध्‍यान देना चाहिए.-ETF के चुनाव में लो ट्रैकिंग एरर महत्वपूर्ण फैक्टर है, जिससे इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न का अंतर कम करने में मदद मिलती है.

ETF में निवेश के नुकसान
ETF आज भी म्यूचुअल फंडों के मुकाबले कम लोकप्रिय हैं। इससे होने वाला कारोबार (वॉल्यूम) कम होता है। इस वजह से खरीदने के लिए ऑफर की गई कीमत और बेचने के लिए ऑफर की गई कीमत के बीच फर्क ज्यादा होता है। इस वजह से इसमें लिक्विडटी कम होती है। इस वजह से ETF बेचने में थोड़ी मुश्किल आ सकती है। अगर आप कम संख्या में ईटीएफ की यूनिट खरीदते या बेचते हैं तो ब्रोकरेज और डीमैट चार्ज थोड़ा ज्यादा हो जाता है।

ETF vs MF - फायदे और नुकसान अब, एक संभावित निवेशक को ध्यान देना चाहिए कि संक्षेप में, ETF स्टॉक की तरह व्यापार करते हैं और इसलिए पारंपरिक म्यूचुअल फंड के साथ अनुपलब्ध flexibility प्रदान करते हैं। विशेष रूप से, निवेशक स्टॉक के रूप में पूरे कारोबारी दिन ETF का व्यापार कर सकते हैं। इसकी तुलना में, एक पारंपरिक म्यूचुअल फंड में, निवेशक केवल फंड के एनएवी पर यूनिट खरीद सकते हैं, जो प्रत्येक ट्रेडिंग दिवस के अंत में प्रकाशित होता है। वास्तव में, निवेशक ईटीएफ को समापन एनएवी पर नहीं खरीद सकते हैं। यह अंतर पारंपरिक फंडों पर ईटीएफ के एक महत्वपूर्ण लाभ को जन्म देता है: ETF तुरंत व्यापार योग्य होते हैं और परिणामस्वरूप, ईटीएफ के मामले में निवेश के समय और व्यापार के समय के बीच मूल्य अंतर का जोखिम काफी कम होता है। फीस के मामले में ईटीएफ पारंपरिक म्यूचुअल फंड और इंडेक्स फंड से सस्ता है। हालांकि, ETF में निवेश करते समय, एक निवेशक ब्रोकर को कमीशन देता है। ईटीएफ की ट्रैकिंग त्रुटि आम तौर पर "इन-काइंड" निर्माण / redimtion सुविधा और कम व्यय अनुपात के कारण पारंपरिक इंडेक्स फंड से कम होती है। यह "इन-काइंड" सृजन / मोचन सुविधा सुनिश्चित करती है कि लंबी अवधि के निवेशकों को अल्पकालिक निवेशक गतिविधि की कीमत पर नुकसान न हो

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