संत शिरोमणी आ.विद्यासागर महाराज जीवन चरित्र :भाग ३८ :अंजली शहा
Автор: Anjali Shaha
Загружено: 2025-07-13
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यहाँ हम सुनेंगे ....आ. ज्ञानसागरजीने अपने शिष्य मुनी विद्यासागरजी को धर्म का पुरा ज्ञान कैसे दिया I गुरु का दायित्व कैसे निभाया I अब गुरु का शरीर जर्जर हो गया था , दर्द बहुत ही बढ गया था , तो उन्होने अपना आचार्यपद मुनी विद्यासागरजी को देणे का मन ही मन निर्णय लिया तो इसके लिये उन्होने विद्यासागरजी को कैसे तैय्यार किया ? उन्होने ऐसा क्या कहा कि शिष्य ने आचार्यपद लेणे के लिये अनुमती दी ?
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