BASHIR BADRA JI WITH TOM ALTER
Автор: Adabi Cocktail
Загружено: 2024-06-10
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डॉ॰ बशीर बद्र (जन्म १५ फ़रवरी १९३६) को उर्दू का वह शायर माना जाता है जिसने कामयाबी की बुलन्दियों को फतेह कर बहुत लम्बी दूरी तक लोगों की दिलों की धड़कनों को अपनी शायरी में उतारा है। साहित्य और नाटक आकेदमी में किए गये योगदानो के लिए उन्हें १९९९ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
इनका पूरा नाम सैयद मोहम्मद बशीर है। भोपाल से ताल्लुकात रखने वाले बशीर बद्र का जन्म कानपुर में हुआ था। अपने वालिद के साथ उत्तर प्रदेश के इटावा आ गए थे। इनकी शिक्षा हाफिज मोहम्मद सिद्दकी इंटर कॉलेज से हुई।[1] मशहूर शायर और गीतकार नुसरत बद्र इनके सुपुत्र हैं।
डॉ॰ बशीर बद्र 56 साल से हिन्दी और उर्दू में देश के सबसे मशहूर शायर हैं। दुनिया के दो दर्जन से ज्यादा मुल्कों में मुशायरे में शिरकत कर चुके हैं। बशीर बद्र आम आदमी के शायर हैं। ज़िंदगी की आम बातों को बेहद ख़ूबसूरती और सलीके से अपनी ग़ज़लों में कह जाना बशीर बद्र साहब की ख़ासियत है। उन्होंने उर्दू ग़ज़ल को एक नया लहजा दिया। यही वजह है कि उन्होंने श्रोता और पाठकों के दिलों में अपनी ख़ास जगह बनाई है।
Bashir Badr (born Syed Muhammad Bashir; 15 February 1935) is an Indian poet. He was teaching Urdu in Aligarh Muslim University.[1] He primarily writes in Urdu language particularly ghazals. He also wrote a couplet titled Dushmani Jam Kar Karo in 1972 during Shimla Agreement that revolves around the partition of India. Badr's most of unpublished literary work, including uncertain poems was lost during the 1987 Meerut communal riots, and later he moved to Bhopal, Madhya Pradesh.[2]
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