कोया पुनेम गोंडी धर्म दर्शन [ गाथा ] दादा शांकर शाह ईरपाचे जी [ मध्यप्रदेश जिला शिवनी ] gondi gath
Автор: MANOHAR INWATI [ 750 ]
Загружено: 2025-12-27
Просмотров: 4560
नीचे “कोया पुनेम गोडी धर्म दर्शन” के लिए लगभग 1000 शब्दों में एक विस्तृत, सुंदर और ज्ञानपूर्ण वीडियो डिस्क्रिप्शन दिया गया है। आप इसे सीधे इस्तेमाल कर सकते हैं या अपनी जरूरत के अनुसार बदल सकते हैं।
---
📿 कोया पुनेम गोडी धर्म दर्शन | Koya Punem Gondi Dharm Darshan | 1000 Words Description
कोया पुनेम गोडी धर्म गोंडवाना की सबसे प्राचीन, जीवंत और प्रकृति-आधारित आध्यात्मिक परंपराओं में से एक है। यह केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवन शैली, एक दर्शन, एक संस्कृति और प्रकृति के साथ समरस होकर जीने की पद्धति है। गोंड आदिवासी समुदाय सदियों से जंगल, पर्वत, जल, भूमि और जीव-जंतुओं को सृष्टि का आधार मानकर चलता आया है। इसी जीवन दर्शन का स्वरूप है कोया पुनेम, जिसे गोंडी भाषा में “सच्चा मार्ग”, “सही पथ” या “अपनेपन का रास्ता” कहा जाता है।
इस वीडियो में हम गहराई से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर कोया पुनेम धर्म क्या है, यह किस मूल्य और सिद्धांत पर आधारित है, और कैसे यह संस्कृति आज भी जनजातीय पहचान और अस्तित्व की नींव बनी हुई है।
---
🌿 कोया पुनेम धर्म का मूल दर्शन
कोया पुनेम का मुख्य आधार है—प्रकृति पूजा, पूर्वजों का सम्मान, और सामुदायिक जीवन।
गोंड समाज मानता है कि धरती माँ, जंगल पिता, और पहाड़, नदियाँ तथा जीव-जंतु परिवार के सदस्य हैं। इसलिए प्रकृति के हर रूप में ईश्वर का दर्शन होता है।
यह धर्म मानव को प्रकृति से जोड़ता है, उसे बताता है कि मनुष्य प्रकृति का मालिक नहीं, बल्कि उसका एक हिस्सा है।
इसीलिए वृक्षों का संरक्षण, जल का सम्मान, भूमि की पवित्रता और जीव-जंतुओं की रक्षा कोया पुनेम के प्रमुख नियमों में शामिल है।
---
🔥 बडा देव: गोंडी धर्म का सर्वोच्च ईश्वर
गोंडवाना की आस्था में “बडा देव” (बड़ा देवता) सर्वोच्च माना जाता है।
बडा देव को 12, 18 या 24 देव रूपों में पूजा जाता है, जिन्हें पेन कहा जाता है।
ये पेन प्रकृति और जीवन के अलग-अलग कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
बडा देव का कोई मूर्त रूप नहीं होता।
उनकी पूजा साल वृक्ष, जंगल, पहाड़, या साकी जैसे पवित्र स्थलों पर की जाती है।
यह बताता है कि गोंड धर्म अनादिकाल से ही प्रकृति-केंद्रित रहा है।
---
🌱 प्रकृति की पूजा और पर्यावरण संतुलन
कोया पुनेम धर्म में यह मान्यता है कि दुनिया पाँच तत्वों से बनी है—
जल, जंगल, जमीन, आग और आकाश।
इनका संरक्षण ही जीवन की सुरक्षा है।
इसी विचार से गोंड समाज में वृक्ष लगाना, जंगल बचाना, और जल स्रोतों को पवित्र मानकर संभालना धर्म का हिस्सा है।
कई गोंड रीति-रिवाज दर्शाते हैं कि प्रकृति को चोट पहुँचाना पाप माना जाता है।
इस दृष्टि से कोया पुनेम आज के पर्यावरण संकट के दौर में बहुत आधुनिक और वैज्ञानिक समझ रखता है।
---
🪔 पूर्वजों का सम्मान और सामाजिक जीवन
गोंड समुदाय अपने पूर्वजों (पुरखे) को जीवन का मार्गदर्शक मानता है।
उनकी स्मृति में “गोटूल”, “देवघर”, “जाहेर” जैसे स्थलों पर पूजा की जाती है।
गोटूल को गोंडी धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है—
यह एक सामाजिक शिक्षालय है, जहाँ युवक-युवतियाँ जीवन के मूल्य, अनुशासन, श्रम, और समाज-सेवा का ज्ञान प्राप्त करते हैं।
कोया पुनेम धर्म व्यक्ति को समाज के प्रति जिम्मेदार बनाता है।
यह धर्म कहता है कि “अपने लिए नहीं, समाज के लिए जियो।”
यही कारण है कि गोंड समाज में एकता, भाईचारा, सामुदायिक कार्य, और आपसी सहयोग को सर्वोच्च महत्व दिया जाता है।
---
🔥 पेन पूजा और गोंडी परंपराएँ
कोया पुनेम के देवताओं को “पेन” कहा जाता है।
हर पेन की अपनी शक्ति, कार्य और विशेषता होती है—
कुछ रक्षक हैं,
कुछ मार्गदर्शक,
कुछ प्राकृतिक शक्तियों के रूप में पूजे जाते हैं।
गोंडी त्योहार जैसे मंडई, केसरिया, काकड़ पूजा, पेरल पेन पूजा, मुठवा पूजा आदि पेन की उपासना पर आधारित होते हैं।
इन अनुष्ठानों में ढोल, तामर, नृत्य, पारंपरिक गीत और प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग होता है, जो संस्कृति को जीवंत रखते हैं।
---
🌾 गोंडी संस्कृति और जीवन मूल्य
कोया पुनेम केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है।
यह जीवन का तरीका है—
श्रम को पूज्य मानना
सत्य बोलना
प्रकृति से प्रेम
समाज के प्रति समर्पण
माता-पिता, बुजुर्गों और गुरुओं का सम्मान
जंगल, जानवर और नदियों की रक्षा
किसी भी जीव को अनावश्यक कष्ट न देना
ये मूल्य गोंड समाज को आज भी अनुशासित, सरल और प्रकृति से जुड़ा रखते हैं।
---
🌀 गोंडवाना की पहचान और कोया पुनेम
गोंडवाना की संस्कृति हजारों वर्षों से भारत की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक मानी जाती है।
इसका इतिहास शिकार-जीवन से होकर कृषि-जीवन तक पहुँचा, और फिर सामाजिक संरचनाओं को जन्म दिया।
कोया पुनेम ने इस पूरी यात्रा में गोंड समाज की पहचान, उनकी परंपरा और जीवन के हर पहलू को सुरक्षित रखा है।
यही कारण है कि आज भी गोंड आदिवासी गर्व से कहते हैं—
“हम कोया पुनेम वाले हैं, प्रकृति के रक्षक हैं।”
---
🎥 यह वीडियो क्यों खास है?
इस वीडियो का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि
गोंडवाना की मूल संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुँचाना
और
कोया पुनेम धर्म की पवित्रता को सम्मानपूर्वक प्रस्तुत करना
है।
अगर आप आदिवासी संस्कृति, गोंडी परंपराओं या कोया पुनेम धर्म को समझना चाहते हैं, तो यह वीडियो आपके लिए बहुत उपयोगी होगा।
---
🙏 आपका सहयोग हमारी प्रेरणा है
अगर आपको वीडियो पसंद आए तो—
👍 Like करें
📢 Share करें
🔔 Channel Subscribe करें
ताकि गोंडवाना की विरासत और संस्कृति और आगे तक पहुँच सके।
जय गोंडवाना!
जय बडा देव!
---
अगर चाहें तो मैं इसे और लंबा, और आसान भाषा में, या SEO keywords जोड़कर भी तैयार कर सकता हूँ।
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: