दशा फल - अन्तर्दशा फलित नियम 2 ( Nitin Kashyap )
Автор: Astro Life Sutras
Загружено: 2018-04-21
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अन्तर्दशा का फल कैसे ज्ञात करें ? उसमे भी जो यक्ष प्रश्न है की जिस ग्रह की दशा चल रही है वह यदि एक शुभ भाव एवं एक अशुभ भाव का स्वामी ग्रह है तो कब शुभ परिणाम मिलेंगे और कब अशुभ ? लघु पाराशरी में इस विषय को बहुत विस्तार से समझाया गया है। महादशानाथ और अन्तर्दशानाथ के मध्य का संबंध और सहधर्म ही दशा की दिशा तय करता है। किसी भी ग्रह की महादशा में उसी ग्रह की अन्तर्दशा परिणाम देने में सक्षम नहीं होती चाहे महादशानाथ कारक हो अथवा मारक। जब महादशा और अन्तर्दशा नाथ दोनों एक ही जैसे भावो के स्वामी हो तो उन्हें सह धर्मी कहा जाता है |
• त्रिकोण के स्वामी – 1, 5, और 9 भाव
• केंद्र के स्वामी – 1, 4, 7 और 10 भाव
• त्रिक भाव – 6, 8 और 12 भाव
• उपचय भाव – 3, 6, 10 और 11 भाव
• त्रिषडाय भाव – 3, 6 और 11 भाव
• 2, 11 के स्वामी
सम्बन्धी
जब दो ग्रहों में सम्बन्ध हो, जैसे
• युति (साथ बैठना)
• दृष्टि
• राशि परिवर्तन
• नक्षत्र परिवर्तन
इस विडियो में देखेंगे की किस प्रकार सहधर्मी ग्रह जब सम्बन्धी भी हो जाए तो परिणाम अधिक मिलता है|
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