कर्म हो रहा है, पर कर्ता कोई नहीं || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2024)
Автор: शास्त्रज्ञान
Загружено: 2025-08-29
Просмотров: 32064
🧔🏻♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?
लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir...
📚 आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?
फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...
➖➖➖➖➖➖
#acharyaprashant #आचार्यप्रशांत #ego #doer #अष्टावक्रगीता #ashtavakragita #अध्यात्म #spirituality
वीडियो जानकारी: 22.10.24, वेदांत संहिता, ग्रेटर नोएडा
Title : कर्म हो रहा है, पर कर्ता कोई नहीं || आचार्य प्रशांत, अष्टावक्र गीता पर (2024)
➖➖➖➖➖➖
विवरण:
"आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तमहमेवेति निश्चयी ।
निर्विकल्प शुचिः शान्तः प्राप्ताप्राप्तविनिर्वृतिः ॥७॥"
~अष्टावक्र गीता (11.7)
हिन्दी अनुवाद: ब्रह्मा से लेकर पत्ते तक, मैं ही हूँ। यह जानने वाला सभी विकल्पों से मुक्त, शुद्ध, शांत और पाने-खोने की चिंता से मुक्त हो आनंद को प्राप्त होता है ॥७॥
इस वीडियो में आचार्य जी अष्टावक्र गीता के अध्याय 11, श्लोक 7 की चर्चा कर रहे हैं। आचार्य जी स्पष्ट करते हैं कि अहंकार तभी तक रहता है जब तक हम अपने को संसार से अलग मानते हैं। जब तक “मैं” और “दूसरा” का भाव है, तब तक ही परायापन बंधन है। उन्होंने समझाया है कि मुक्ति का अर्थ प्रकृति से भागना या ऊपर उठना नहीं है, बल्कि यह जानना है कि ‘मैं, संसार और हमारे रिश्ते—सब प्रकृति ही हैं।’ जैसे नाव लहरों पर अपने आप चलती है, वैसे ही जीवन चलता है – कोई अलग नाविक या कर्ता नहीं होता है। जब यह समझ आ जाती है, तब अहंकार मिट जाता है, मृत्यु का डर भी समाप्त हो जाता है और जीवन सहज हो जाता है।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFwe...
संगीत: मिलिंद दाते
~~~~~~~~~~~
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: