Ravindra Ramayan | रामायण - लंका कांड | Ravindra Jain
Автор: Ravindra Jain
Загружено: 2023-09-17
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लंकाकाण्ड वाल्मीकि कृत रामायण और गोस्वामी तुलसीदास कृत श्री राम चरित मानस का एक भाग (काण्ड या सोपान) है।
जाम्बवन्त के आदेश से नल-नील दोनों भाइयों ने वानर सेना की सहायता से समुद्र पर पुल बांध दिया। श्री राम ने श्री रामेश्वर की स्थापना करके भगवान शंकर की पूजा की और सेना सहित समुद्र के पार उतर गये। समुद्र के पार जाकर राम ने डेरा डाला। पुल बंध जाने और राम के समुद्र के पार उतर जाने के समाचार से रावण मन में अत्यंत व्याकुल हुआ। मन्दोदरी के राम से बैर न लेने के लिये समझाने पर भी रावण का अहंकार नहीं गया। इधर राम अपनी वानरसेना के साथ सुबेल पर्वत पर निवास करने लगे। अंगद राम के दूत बन कर लंका में रावण के पास गये और उसे राम के शरण में आने का संदेश दिया किन्तु रावण ने नहीं माना।
शांति के सारे प्रयास असफल हो जाने पर युद्ध आरम्भ हो गया। लक्ष्मण और मेघनाद के मध्य घोर युद्ध हुआ। शक्तिबाण के वार से लक्ष्मण मूर्छित हो गये। उनके उपचार के लिये हनुमान सुषेण वैद्य को ले आये और संजीवनी लाने के लिये चले गये। गुप्तचर से समाचार मिलने पर रावण ने हनुमान के कार्य में बाधा के लिये कालनेमि को भेजा जिसका हनुमान ने वध कर दिया। औषधि की पहचान न होने के कारण हनुमान पूरे पर्वत को ही उठा कर वापस चले। मार्ग में हनुमान को राक्षस होने के सन्देह में भरत ने बाण मार कर मूर्छित कर दिया परन्तु यथार्थ जानने पर अपने बाण पर बिठा कर वापस लंका भेज दिया। इधर औषधि आने में विलम्ब देख कर राम प्रलाप करने लगे। सही समय पर हनुमान औषधि लेकर आ गये और सुषेण के उपचार से लक्ष्मण स्वस्थ हो गये।
बालासाहेब पंत प्रतिनिधि द्वारा चित्र जिसमे रावण वध दर्शाया गया है
रावण ने युद्ध के लिये कुम्भकर्ण को जगाया। कुम्भकर्ण ने भी राम के शरण में जाने की असफल मन्त्रणा दी। युद्ध में कुम्भकर्ण ने राम के हाथों परमगति प्राप्त की। लक्ष्मण ने मेघनाद से युद्ध करके उसका वध कर दिया। राम और रावण के मध्य अनेकों घोर युद्ध हुये और अन्त में रावण राम के हाथों मारा गया। विभीषण को लंका का राज्य सौंप कर राम सीता और लक्ष्मण के साथ पुष्पकविमान पर चढ़ कर अयोध्या के लिये प्रस्थान किया।
"सीता श्रद्धा देश की राम अटल विश्वास।रामायण तुलसी रचित हम तुलसी के दास।"
रवीन्द्र जैन जी द्वारा स्वयं और तुलसी रचित और संगीतबद्ध चोपाईयां घर घर तक रामायण सीरियल के द्वारा पहुंचायी तब रवीन्द्र जैन रचित चोपाईयों को तुलसी रचित चोपाई समझते थे। रवीन्द्र जैन जी ने रामायण को सरल शब्दों में कभी सीरियल कभी नृत्यनाटिका तो कभी चोपाईयों के रूप में अनेकों बार रचा तब हृदय में राम ने कहा रवीन्द्र तुम मुझे कितनी बार अपनी आत्मा की आवाज से पुकारते हो कभी मुझे तुलसी की तरह कलम से शब्दों में निखारो। रवीन्द्र चल पढ़े उस डगर पर और सुंदर सरल सुपावन रवीन्द्र रामायण रच डाली जो आज आपके समक्ष है।
प्रभात प्रकाशन द्वारा रवीन्द्र रामायण को जन जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया गया और उसे संगीतबद्ध कर श्री द्वारकाधीश किर्येशन के सुभाष गुप्ता जी ने ओडियो और वीडियो के रूप में जन जन तक पहुंचाया। आज आर जे ग्रुप उसी रवीन्द्र रामायण को आपके समक्ष यूट्यूब पर अपलोड करते हुए बहुत हर्ष हो रहा है कि हम रवीन्द्र जैन जी के चाहने वालों की इच्छा पूरी कर रहे हैं।
After years of composing Ramayan and bhajans of Shri Ram, Ravindra Jain in the last decade decided to put pen to paper and write his own Ravindra Ramayan.
Music Director: Ravindra Jain
Author/Lyricist: Ravindra Jain
Singer: Ravindra Jain
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