हँस के गले मिलते हैं, फिर वार करते हैं
Автор: Nai Qalam Naya Kalam Official
Загружено: 2025-11-11
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हँस के गले मिलते हैं, फिर वार करते हैं,
चेहरे पे नूर, दिल में अंधकार करते हैं।
हर नक़ाब के नीचे हैं कितने किरदार यहाँ,
लोग अब प्यार नहीं व्यापार करते हैं,
हमने समझा था जिन्हें अपना, वही निकले,
वक़्त आने पे वही इनकार करते हैं।
दिल को तोड़ो तो कोई आवाज़ तक न उठे,
ऐसे हुनर को यहाँ सरकार करते हैं।
मुस्कुराते हैं मगर आँखें हैं नम भीतर से,
लोग अब दर्द का भी इज़हार करते हैं।
ख़ुद से बढ़कर नहीं कोई भी रिश्ता अब तो,
सब ज़रूरत में ही व्यवहार करते हैं।
फ़क़ीरा है आज ज़माना अजीब हाल में,
दुश्मनी छोड़ के अब यार वार करते हैं।
✍🏼'पागल फ़क़ीरा'✍🏼
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