श्री हंस भगवान की जयंती आंवला नवमी का पावन पर्व हंस तीर्थ क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ।
Автор: aashu Shukla
Загружено: 2025-11-05
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प्रेस विज्ञप्ति:
श्री हंस भगवान के अवतरण दिवस आंवला नवमी का पर्व दिनांक 30.10.2025 दिन गुरुवार को जनपद प्रयागराज के पंचकोशीय, द्वादश माधव एवं बहिर्वेदीय परिक्रमा स्थल भगवान विष्णु के हंस अवतार की जन्मभूमि पौराणिक हंस तीर्थ क्षेत्र, प्रतिष्ठानपुर - झूंसी, गंगा तट, प्रयागराज, उ .प्र. में हंस भगवान के प्रेमी साधु - संतों व श्रद्धालुओं ने पारंपरिक रूप से धूमधाम से मनाया । इस दौरान ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्री गोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के आशीर्वाद से राष्ट्रीय धर्म रक्षक संघ के आवाहन पर पौराणिक हंस तीर्थ क्षेत्र ( हंस तीर्थ मंदिर, हंस कूप, संध्यावट वृक्ष, श्री संकष्टहर माधव, गोरखनाथ की तप:स्थली आदि) के जागरण व उत्थान हेतु श्री रामचरितमानस का अखंड पाठ, शालिग्राम रूपी सर्वेश्वर श्री हंस भगवान का सहस्त्रार्चन, हंस गीता का पाठ, गोपाल मंत्रराज का जप, संत सम्मेलन, शपथ ग्रहण के उपरांत हंस तीर्थ क्षेत्र के दर्शनार्थ पारंपरिक परिक्रमा यात्रा प्रशासनिक अनुमति तथा पुलिस व राजस्व अधिकारियों के उपस्थिति में पुरी शंकराचार्य ग्राउंड, गंगा तट से हंस तीर्थ क्षेत्र पहुंची जिसे अराजक तत्वों, सत्यम क्रिया योग संस्थान द्वारा अपने चार दिवारी में घेरकर दर्शनार्थियों को दर्शन से प्रतिबंधित व अपमानित किया गया जिस पर नियुक्त सक्षम अधिकारियों द्वारा अराजक तत्वों पर विधिक नोटिस व दंडात्मक कार्यवाही सुनिश्चित करते हुए भविष्य में हंस तीर्थ मंदिर आदि में प्रवेश कराने का आश्वासन देने पर परिक्रमा यात्रा बाहर से ही दर्शन, पूजन, संध्या, आरती, जय घोष करते हुए विविध धार्मिक तीर्थ स्थलों से होते हुए शंकराचार्य ग्राउंड में यात्रा सम्पन्नकर श्री हंस भंडारा प्रसाद ग्रहण किया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी के शिष्य आचार्य राम शंकर शुक्ल जी ने भगवान हंस एवं उनके अवतरण दिवस तथा अवतरण स्थल के माहात्म्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि स्वयं नारायण ने सनकादिक मुनियों के संशय के निवारण हेतु हंस स्वरूप धारणकर सांख्य, योग और वेदांत से अनुप्राणित हंस गीता का दुर्लभ उपदेश प्रदान किया था ; जो मानव को प्रवृत्ति का पर्यावसान निवृत्ति और निवृत्ति का पर्यावसान निर्वित्ती में करके मानव जीवन के परम साध्य की सिद्धि प्रदान करता है; हंसोपाख्यान का उल्लेख भागवत महापुराण के 11 स्कंध के 18 वें अध्याय में प्राप्त होता है; भगवान हंस का नाम स्वयं में अजपाजप गायत्री है जो कि श्वास - प्रश्वास के साथ स्वाभाविक रूप से चलायमान है जिसका जप व ध्यान पवित्र संध्यावट वृक्ष के छांव में ब्रह्मचर्यपूर्वक करना चाहिए मुख्य वक्ता स्वामी रामचंद्र दास जी ने बताया कि हंस तीर्थ क्षेत्र सतयुग का तीर्थ है जिसका उल्लेख मत्स्य, कूर्म, नारदीय, अग्नि, पद्म पुराण आदि विविध ग्रन्थों में प्राप्त होता है; संध्यावट वृक्ष ब्रह्मचारियों के साधना का केंद्र है जहां पर उपवास व सुचितापूर्वक ब्रह्मचर्य को धारणकर त्रिकाल संध्या करने से व्रात्यसंज्ञा का निवारण होता है तथा द्वादश माधव में संकष्टहर माधव का आश्रम भी संध्यावट वृक्ष ही है मुख्य अतिथि निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत गोपाल दास व जयंत योगी ने बताया कि संध्यावट वृक्ष के निकट गोरखनाथ जी तपश्चर्यापूर्वक प्रवास किया उन्हीं के प्रभाव से यह नगर झुलसा था जिससे प्राचीन प्रतिष्ठानपुर नाम परिवर्तित होकर झूंसी के रूप में ख्यातिलब्ध हुआ, संयोजक व्यास मुनि जी ने भगवान हंस की परंपरा तथा हंस जन्मभूमि पौराणिक हंस तीर्थ धाम उत्थान हेतु किए गए संघर्ष की जानकारी प्रदानकर महत्वपूर्ण प्रमाणित दस्तावेजों के साथ उपस्थित समस्त गणमान्यजनों व नियुक्त सक्षम प्राधिकारियों तहसीलदार फूलपुर, थानाध्यक्ष झूंसी आदि को हंस तीर्थ के रक्षार्थ पटचित्र ज्ञापन प्रदान किया, सहयोगी जगदीश स्वरूप ब्रह्मचारी, निंबार्की संत राधा माधव दास एवं अतुल मिश्र ने बताया कि यहीं हंस तीर्थ में हंस भगवान अवतरित हुए थे जिनसे निंबार्क परंपरा फलीभूत हो रही है, सीता पतिदास, स्वामी विमलेशाचार्य ने प्रयाग पंचकोशीय व द्वादश माधव की परिक्रमा के दौरान श्रद्धालुओं को हंसतीर्थ में जाने, वि.हि.प. के डॉ आद्या शंकर मिश्र एवं प्राणनाथ जी ने दृढ़ता पूर्वक सभी हिंदुओं को आगे आने व अधिवक्ता सी एस मिश्र जी ने राम जन्मभूमि की भांति ही भगवान हंस जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रचार प्रसार व सामूहिक प्रयत्न पर जोर दिया सहयोगी डॉ पद्म सिंह, नरनारायण प्रताप , सुरेंद्र, आयुष, शिखर , देव दुबे, गणेश, जगन्नाथ पांडेय, महेंद्र सोनी, शिवगंगा आश्रम परिवार आदि ने नित्यानंद जी, ज्ञानेश्वरानंद सरस्वती, राम सजीवन शुक्ल, रामनारायण दास आदि का स्वागत सम्मान किया, अभिषेक दुबे व दिवाकर दीक्षित ने पूजन किया, महापौर गणेश केशरवानी जी ने हंस तीर्थ यात्रा को बल दिया वहीं योगेश तिवारी, निरंजनी अखाड़ा के कपिल गिरी, महानिर्वाणी से महंत रविंद्रपुरी, बीपी सिंह आदि हंस भगवान के प्रेमी श्रद्धालु संतों ने उपरोक्त प्रकल्प में बढ़-चढ़कर भाग लिया और हंस तीर्थ क्षेत्र के रक्षार्थ सार्वजनिक आवाहनकर पंचसूत्रीय निवेदन किया ।
1- पौराणिक हंस तीर्थ क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्तकर हंस तीर्थ क्षेत्र से त्रिवेणी संगम तक कॉरिडोर बनें!
2- हंस तीर्थ मंदिर और हंस कूप का उसके पौराणिक, प्राचीन स्वरूप में जीर्णोद्धार हो!
3- पौराणिक संध्यावट वृक्ष के नीचे श्री संकष्टहर माधव पुनः स्थापित हो!
4- हंस तीर्थ क्षेत्र के संरक्षण व दर्शन - पूजन का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित करने हेतु पुरातत्व एवं पर्यटन विभाग आगे आकर अपना बोर्ड स्थापित करें।
5- हंस तीर्थ क्षेत्र के दर्शनार्थ गए व्यास मुनि एवं अन्य संतों को अराजक तत्वों द्वारा प्रताड़ितकर झूंसी थाने में दर्ज फर्जी मु. अ. सं. (64 /2023) निरस्तकर अराजक तत्वों के विरुद्ध दर्ज मु. अ. सं. ( 231 / 2024) आदि पर शीघ्र ही दण्डात्मक कार्यवाही करते हुए न्याय प्रदान हो !
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