सहज योग में तीन नाड़ियाँ और तीन दिव्य शक्तियाँ || Shri Mataji Speech
Автор: Divine sahajyog
Загружено: 2025-10-06
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सहज योग में तीन नाड़ियाँ और तीन दिव्य शक्तियाँ || Shri Mataji Speech
सहज योग में सूक्ष्म नाड़ी तंत्र और तीन शक्तियों का रहस्य
हमारे शरीर में एक अद्भुत व्यवस्था है जिसे Autonomous Nervous System कहा जाता है — अर्थात् “स्वयं संचालित संस्था”। यह व्यवस्था हमारे भीतर तीन स्तरों पर कार्य करती है: Left Sympathetic, Right Sympathetic, और Parasympathetic Nervous System। सहज योग के अनुसार, ये केवल भौतिक (ग्रोस) संरचनाएँ नहीं हैं; इनके पीछे सूक्ष्म ऊर्जा तंत्र कार्यरत है, जो हमारी रीढ़ की हड्डी (Spinal Cord) में स्थित तीन प्रमुख नाड़ियों — ईड़ा, पिंगला और सुषुम्ना — के माध्यम से संचालित होता है।
ये नाड़ियाँ अदृश्य हैं, लेकिन वास्तविक हैं। इन्हें वैज्ञानिक उपकरणों से नहीं देखा जा सकता, बल्कि केवल सहज योग के अनुभव से महसूस किया जा सकता है। जैसे किसी सूक्ष्म वस्तु को देखने के लिए हमें स्वयं सूक्ष्म बनना पड़ता है, वैसे ही इन नाड़ियों की अनुभूति आत्म-साक्षात्कार के बाद संभव होती है। जब कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है, तो यह सुषुम्ना नाड़ी से ऊपर उठकर सहस्रार को भेदती है और हमें दिव्य चेतना से जोड़ती है।
इन तीन नाड़ियों से तीन दिव्य शक्तियाँ संबद्ध हैं —
१. महाकाली शक्ति (लेफ्ट साइड) – यह हमारी भावनात्मक शक्ति है, जिसे अंग्रेज़ी में Psyche कहते हैं। यही हमारे अतीत (Past), स्मृतियों और कंडीशनिंग को नियंत्रित करती है। इस शक्ति के कारण अस्तित्व (Existence) बना रहता है, जैसे हृदय के कारण जीवन है। यह परमात्मा की भावनात्मक स्थिति है।
२. महा सरस्वती शक्ति (राइट साइड) – यह हमारी क्रियाशील शक्ति है। सोचने, योजना बनाने, सृजन और कार्य करने की सारी ऊर्जा इसी से आती है। जब यह शक्ति असंतुलित होती है, तो मनुष्य अत्यधिक विचारों, तनाव और भविष्य की चिंताओं में फँस जाता है।
३. महालक्ष्मी शक्ति (मध्य सुषुम्ना नाड़ी) – यह शक्ति हमारे आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग है। इसी के कारण मनुष्य की उत्क्रांति (Evolution) संभव हुई है — अमीबा से लेकर मानव बनने तक की यात्रा इसी शक्ति ने कराई। आत्म-साक्षात्कार और परमात्मा से एकत्व की दिशा में यह ही शक्ति हमारा मार्गदर्शन करती है।
सहज योग का उद्देश्य इन तीनों शक्तियों में संतुलन लाकर, मध्य मार्ग अर्थात् सुषुम्ना नाड़ी को सक्रिय करना है। जब कुंडलिनी इसी मार्ग से उठती है, तब मनुष्य शांति, आनंद और आत्मा के प्रकाश का अनुभव करता है। यह अनुभव केवल बौद्धिक नहीं, बल्कि साक्षात जीवंत ऊर्जा का प्रमाण है, जो सहज योग के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति स्वयं महसूस कर सकता है।
Reference : 1977 -0203 ( Part 2 ) || Divine Sahajyog
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