लटको छोड़ दे रे I Latko chhod de re I PadmaShri Kaluram Bamabiya
Автор: Bairag Kabir Channel
Загружено: 2021-04-26
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पद्मश्री कालूराम बामनीया
जब हम संगीत की अनगिनत लहरों में बहते हैं, तो हर लहर की अपनी कहानी होती है, और कालूराम बामनीया जी उन लहरों का सार्थक हिस्सा हैं। हमारे दिलों में धड़कते हुए वे गांव के सीने से हैं, मज़दूरी के संघर्ष में सिमटे हुए हैं, और संगीत के माध्यम से अपने संदेश को पूरे देश तक पहुंचाने के लिए प्रेरित हैं।
कालूराम जी का संगीत संसार को एक अलग रंग और स्वाद देता है। उनकी गायकी में न तो सिर्फ संगीत है, बल्कि उसमें एक आत्मिक संवाद है, जो हर ध्वनि के माध्यम से हमारे मन और आत्मा में दिव्यता की कल्पना को प्रेरित करता है। उनके ध्वनि में वह संतुलन है, जो हमें भावनाओं की ऊंचाइयों और गहराईयों में ले जाता है।
कालूराम जी की संगीत साधना की प्रकृति में कुछ विशेष है। उनके संगीत में तम्बूरा की मधुर ध्वनि, जो उनकी आत्मा की गहराई से जुड़ी होती है, हमें कबीर के संदेश की महत्ता को अनुभव कराती है। उनके ध्वनि की शक्ति, जो उनके भक्तों को ध्यानावस्था में ले जाती है, एक अद्वितीय संवाद का स्थापना करती है, जो विचारों को ऊँचाईयों तक पहुंचाता है।
उनकी संगीत साधना में ईश्वर की कृपा का साक्षात्कार होता है, जो उन्हें पद्म श्री से सम्मानित करने वाली यह उच्च उपलब्धि प्राप्त करने में सहायक हुई है। उनके संगीत सागर में, हर ध्वनि एक नया प्रेम का अनुभव है, जो उन्हें उनके उच्च उद्देश्यों की दिशा में अग्रसर करता है।
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