हिंदू ग्रंथ को डॉक्टर अंबेडकर ने क्यों जलाया
Автор: lifez
Загружено: 2025-11-01
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यह कहानी है उस आग की —
जो सिर्फ़ एक किताब नहीं, बल्कि सदियों की गुलामी को जला गई।
1927 में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने मनुस्मृति दहन किया —
क्योंकि वह ग्रंथ इंसान को जातियों में बाँटता था, स्त्रियों को नीचा दिखाता था, और शूद्रों को इंसान मानने से इंकार करता था।
आंबेडकर ने उस दिन सिर्फ़ एक किताब नहीं जलाई — उन्होंने अन्याय की जड़ों को राख कर दिया।
फिर शुरू हुई उनकी दूसरी यात्रा — महाड़ तालाब आंदोलन से लेकर बौद्ध धर्म स्वीकार करने तक की।
उन्होंने कहा —
“मुझे नया ईश्वर नहीं चाहिए, मुझे नया इंसान चाहिए।”
यह वीडियो दिखाता है —
कैसे आंबेडकर की आग से बुद्ध की करुणा का जन्म हुआ।
कैसे मनुस्मृति की राख से एक नया भारत खड़ा हुआ —
जहाँ इंसान का धर्म है, इंसान बनना।
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