प्रह्लाद की माता क्याधु के श्राप की कथा | जय गंगा मैया कथा
Автор: Bharat Ki Amar Kahaniyan
Загружено: 2025-11-08
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गंगा मैया माता उमा को बताती है की क्याधु विष्णु भगवान की सेविका सत्या थी जो उनकी भक्ति करती थी लेकिन श्राप के कारण उसे ये सब भोगना पड़ रहा है। गंगा मैया माता उमा को क्याधु के श्राप की कथा सुनती हैं । एक बार अंगिरा ऋषि विष्णु जी से मिलने के लिए आए थे तो उन्हें सत्या रोकती है और कहती है की विष्णु भगवान आराम कर रहे है आप उनसे अभी नहीं मिल सकते। जी से क्रोधित होकर ऋषि अंगिरा उसे नाग लोक में जनम लेने का श्राप दे देते हैं। नारद मुनि जी तभी वहाँ आते हैं और ऋषि अंगिरा को बताते हैं की आपने ये ग़लत किया है वह इसके लायक़ नहीं थी। ऋषि अंगिरा कहते हैं की अगले जनम में भी यह विष्णु भगवान की भक्त ही होगी और इसका विवाह हरिण्यकश्यप के साथ होगा और सत्या के गर्भ से विष्णु भक्त प्रह्लाद का जन्म होगा जो असुर लोक में विष्णु जी की भक्ति की शुरुआत करेगा। इसलिए ये मेरे मुख से ऐसा श्राप निकला है।
भारत की अमर कहानियाँ में आपको मिलती हैं ऐसी कथाएँ जो न केवल अनोखी हैं, बल्कि हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर भी हैं। ये कहानियाँ शाश्वत हैं क्योंकि ये हमारे मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं।
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