720 वर्ष पुराना जयंती माता मंदिर जहाँ माता बदलती हे अपना स्वरूप बड़वाह मप्र/ T-Series Singaji Bhajans
Автор: T-Series Singaji Bhajans
Загружено: 2024-10-13
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बड़वाह से तीन किलोमीटर दूर वन क्षेत्र में जयंती माता का मंदिर स्थित है। मंदिर के पट सोमवार सुबह 5 बजे बंद कर दिए गए थे, लेकिन रात करीब 9 बजे दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए गए। जब श्रद्धालु मंदिर पहुंचे, तो उन्हें माता के नए स्वरूप के दर्शन हुए।
मंदिर के मुख्य व्यवस्थापक पुजारी पंडित महेंद्र शर्मा ने बताया कि यह जयंती माता का प्राचीन और मूल स्वरूप है। करीब 600 साल से भी अधिक समय पहले माता की इस पाषाण प्रतिमा को विराजित किया गया था। तब से लगातार सिंदूर लेपन के कारण माताजी की पाषाण प्रतिमा पर आवरण बन गया था। सोमवार सुबह अचानक चोला छोड़ने के कारण वह आवरण गिर गया। माता की मूल प्रतिमा सामने आई।
पुजारी पंडित महेंद्र शर्मा बताते हैं कि मूल प्रतिमा में माताजी कमल पर पद्मासन में हैं। उनकी चार भुजाओं में तलवार, ढाल, खप्पर और पाश है। प्रतिमा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है। सोशल मीडिया पर भी माता के नवीन स्वरूप की चर्चा हो रही है। पुजारी पंडित महेंद्र शर्मा ने बताया कि यह माताजी का बाल, सौम्य और मूल स्वरूप है।
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