Man Chanchal Chal Ram Sharan Mein | मन चंचल चल राम शरण में | Ram Sharnam | राम शरणम्
Автор: Shri Ram Sharnam
Загружено: 2023-07-18
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सर्वशक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नम:
माया मरी ना मन मरा, मर मर गया शरीर ।
आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर ॥
माया हैं दो भान्त की, देखो हो कर बजाई ।
एक मिलावे राम सों, एक नरक लेई जाए ॥
मन चंचल चल राम शरण में ।
हे राम हे राम हे राम हे राम ॥
राम ही तेरा जीवन साथी,
मित्र हितैषी सब दिन राती ।
दो दिन के हैं यह जग वाले,
हरी संग हम हैं जनम मरण में ॥
तुने जग में प्यार बढाया,
कितना सर पर भार उठाया ।
पग पग मुश्किल होगी रे पगले,
भाव सागर के पार तरन में ॥
कितने दिन हंस खेल लिया है,
सुख पाया दुःख झेल लिया है ।
मत जा रुक जा माया के संग,
डूब मरेगा कूप गहन में ॥
सर्वशक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नम:
Ram Sharnam | राम शरणम्
जो भावनावान भावुक जन, भागवती भक्ति - भागीरथी में स्नान करने के इच्छुक हैं, जो भक्ति धर्म के मर्म को जानना चाहते हैं, और जो भक्ति योग के सच्चे, सरल, सरस, सुपथ पर चलने के अभिलाषी हैं उनको स्वामी सत्यानन्द - रचित ग्रन्थ सुमननपूर्वक पढ़ने चाहिए
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