CHEHRA UTAAR DE | Heart Touching Ghazal | Deep Emotional Urdu Poetry
Автор: Yusuf Rais
Загружено: 2025-12-19
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चेहरा उतार दे | Deep Sufi Ghazal | Heart Touching Urdu Poetry”
यह ग़ज़ल उस पल की कहानी है
जब इंसान अपने ही चेहरे से नक़ाब उतार देता है।
शीशा, परदा, दरिया और चाँद —
हर शेर अंदर की सच्चाई की तरफ़ एक क़दम है।
यह सिर्फ़ ग़ज़ल नहीं, एक रूहानी सफ़र है —
जो ख़ामोशी में असर करता है।
इस Sufi Ghazal में तन्हाई, आत्म-खोज, सच और फरेब की परतें हैं।
हर मिसरा अपने भीतर झाँकने पर मजबूर करता है।
अगर आपको सूफ़ी कलाम, उर्दू शायरी और गहरी ग़ज़लें पसंद हैं
तो यह पेशकश आपके लिए है।
यह ग़ज़ल उन लोगों के लिए है
जो कम बोलते हैं
लेकिन बहुत ज़्यादा सहते हैं।
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📜 ग़ज़ल
दीवार पर लगा हुआ शीशा उतार दे
जाकर वहाँ तू अपना ये चेहरा उतार दे
वो अपने आप को ही न पहचान पायेगा
तन्हाई में जो चेहरे से चेहरा उतार दे
वाक़िफ़ नहीं हूँ शहर के रस्तों से मैं अभी
चल ऐसा कर कि हाथ पे नक्शा उतार दे
बेख़ौफ़ होके आ गया साहिल पे आज मैं
हो जिसको शौक़ मुझमें वो दरिया उतार दे
मुद्दत से बीच तन्हा सितारों के रह रहा
उस चाँद का भी कोई तो सदका उतार दे
चुपचाप मैं यहाँ से यूँ ही लौट जाऊँगा
तू अपनी खिड़कियों से जो परदा उतार दे
सच्चाई की ज़मीन पे हो जाऊं मैं खड़ा
तू भी तेरे फरेब का चश्मा उतार दे
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बहर
मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
अरकान — 22121211221212
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✦ CREDITS ✦
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✦ TITLE — Chehra Utaar De
📖 LYRICS & COMPOSED BY — YUSUF RAIS
🎬 CREATIVE DIRECTOR — YUSUF RAIS
SPECIAL THANKS
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