बिरसावाद की 150 वी वर्षगांठ पर हिंदू RSS के खिलाफ उगले सच बलराज मालिक साहब अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट
Автор: Birsa Brigade
Загружено: 2025-10-27
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15 नवंबर 2025 बिरसावाद के 150 वर्ष
भारत पूर्व और प्राचीनकाल से कृषि टराष्ट्र है इसीलिए यहां जल जमीन जंगल पूजनीय है, वास्तव में इसी जल जमीन जंगल की विचारधाटा को अलग-अलग देशों के वैज्ञानिकों ने मानव केन्द्रित विचारधाढा को ही सांस्कृतिक सामाजिक टराष्ट्रवाद कहा है- जिसे सिन्धु राष्ट्र याने आदिवासी भारत कहते है
।। बिरसावाद - सदियों से शहिद हुए लाखों आदिवासी क्रांतिकारीयों की मानवतावाद याने सांस्कृतिक समाजवाद बचाने की आदर्श विचारधारा है।। दिनांक 26 अक्टूबर 2025 समय 3 बजे से मिशन स्कूल ग्राउंड सिवनी म.प्र.
जल, जंगल जमीन के संघर्ष और अंग्रेजों हुकुमत तथा जमीनदार सावकार और प्रस्थावितों के खिलाफ सामाजिक व राष्ट्रीय स्वतंत्रता का संघर्ष किया उन सभी महापुरुषों को जिन्होने भारत के स्वतंत्रता के इतिहास का हिस्सा नही समझा गया जिन्हें पैदाईशी गुन्हगार कहकर भुला दिया उन्हें यह कार्यक्रम समर्पित है। भारत में आदिवासियों को उनकी वास्तविक पहचान से दूर रखने का प्रयास यहां प्रस्थापित सत्ताधारी उच्च वर्णीय जो संकीर्ण मानसिकता से देश में अपनी धार्मिक, आर्थिक, राजनैतिक (Religious Economic and Political) अधिसत्ता का संचालन कर रहे हैं उन्होने एक षडयंत्र और योजना-बद्ध ढंग से आदिवासियों के मानवशास्त्रीय (Anthroplogical & sociol Culture) सामाजिक सांस्कृतिक (Archeological पुरातत्व and Geological) भूगर्भशास्त्र के वास्तविक इतिहास की (Histori) को दबाने व उसे नष्ट करने और उसमें (spoudo & Assimilation) झूठे समन्वय को समरसता के नाम चलाने के कुर-षडयंत्र को राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय अखंडता का जा आवरण पहनाया गया है उसे समझाने और अससे बचने की बौद्विक सामाजिक, आधिक, राजनैतिक व संघटनात्मक क्षमता आदिवासियों ने नहीं दिखाई देती है परिणाम स्वरूप आदिवासी इन षड़यंत्रकारियों के भ्रमजाल में बरी तरह फंस चुके हैं
दुखी, शोषित, पीड़ित, भूरवे, मजदूर और मजबूर, मानव और मानवतावाद (सांस्कृतिक समाजवाद) को बचाने बिरसा की भावी पीढ़ी का निरंतर सामाजिक उलगुलान...।
बिरसावाद भारत में 3 हजार बषों के पहले से जल जमीन जंगल के अधिकारों क सघर्ष चल रहा है बास्तबिक्ता में यह सांस्कृति संघर्ष हैं जिसे धर्म भगवान और राज्य राष्ट के नाम पर दबाने का हर सम्भव प्रयास किया जाता रहा हैं आदिवासियों को बानर, असुर, राक्षस, भूत, पिचास, जंगली, दास्यु, किमनल ट्राईब इत्यादि संज्ञाए देकर उन्हें मारने का उनका इन्काउंटर करने की प्रथा को धर्म का नाम देकर एक षड़यंत्र के तहत प्रयोग में लाया गया आक्रमण अतिक्रमण संक्रमण की रणनीति के माध्यम से देश में आदिबासियों का जल जंगल जमीन पर कब्जा जमाने का काम किया गया हैं जो आज भी जारी है सिर्फ स्वरूप बदला हैं वर्तमान में आदिवासियों को बनबासी और अतिक्रमणकारी घोषित करने का प्रयास बहुत तेजी से जारी है। भारत में आदिवासियों के प्राचिन संस्कृतिक समाजिक सभ्यता के इतिहास को पूर्णतः समाप्त करने का मनुवादी आर्य अम्हणवादियों द्वारा चलाये जा रहे अभियान को समझना प्रत्येक आदिवासी व्यक्ति, संगठन, नेता बुध्दिजीबी, विध्यार्थी, के लिए सबसे ज्यदा महत्वपूर्ण सामाजिक कर्तव्य है क्या? किस लिए ? किस प्रकार ? और इसे समझना किसी भी काम से किसी भी बात से और किसी हालत में क्यों जरूरी है?
सुप्रीम कोर्ट
आदिवासी ही भारत के मुल मालिक है वे आदिकाल से भारत में वास करते है वे मुलवासी है. इन्हें इनके मुलवासी होने के अधिकारो से वंचित रखना उन पर अन्याय करना है. उन्हें मूल निवासी और भारत के प्रथम नागरिक होने का सम्मान देने की जबाबदारी
प्रत्येक सरकार और देश के हर नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है
बिरसा ब्रिगेड, / सेल्फ रिस्पेक्ट मूवमेंट आफ इंडिजिनियस पीपुल्स / मिशन आदिवासी भारत/आदिवासी बचाओ आंदोलन / आदिवासी विचार मंच / आल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन / आल इंडिया इंडिजिनियस इम्पलायमेंट फेडरेशन अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी सर्व संगठन
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सरकार देश की चालक है आदिवासी देश मालिक है
मुख्य अतिथिः माननीय सुप्रीम कोर्ट वरिष्ठ अधिवक्ता (वकील) नई दिल्ली
मुख्य मार्गदर्शक, आदिवासी आवाज, बिरसा ब्रिगेड संस्थापक, राष्ट्रीय अध्यक्ष
आदरणीय. बलराज साहब मलिक जी
आदरणीय, इंजी. सतीश दादा पेंदाम जी
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