अब तो स्वंय के अन्दर खोजोमत भटको, मत दौडो, बहुत भटक लिये, बहुत दौड लिये । अब तो स्वंय के अन्दर खोजो,
Автор: Meditation with Love
Загружено: 2025-10-16
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प्रभु श्री राम जी एवं प्रभु श्री कृष्ण जी के यह कविता सर्मपित
मनुष्य की जिन्दगी का सम्पूर्ण सार
अब तो स्वंय के अन्दर खोजो
मत भटको, मत दौडो, बहुत भटक लिये, बहुत दौड लिये । अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत पढ़ लिये वेद और पुराण, बहुत पढ़ लिये गीता और कुरान। अब तो रूक जाओ, अब तो ठहर जाओ। अब तो थम जाओ, अब तो शांत हो जाओ। मत भटको, मत दौडो, बहुत भटक लिये, बहुत दौड लिये । अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत इकट्ठे कर लिये शास्त्र, बहुत इकट्ठे कर लिये साधन। अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
मत दौडों इन सिद्धान्तों में, मत दौडों इन तर्क-विर्तकों में। मत दौडों इन सम्प्रदायों में, मत दौडों इन मतों में।
मत दौडों इन समुदायों में, मत दौडों इन जातियों में। मत दौडों इन ज्ञानों में, मत दौडों इन शब्दों में। मत दौडों इन झमेलों में, मत दौडों इन गणितों में। अब तो रूक जाओ, अब तो ठहर जाओ। अब तो थम जाओ, अब तो शांत हो जाओ। मत भटको, मत दौडो, बहुत भटक लिये, बहुत दौड लिये । अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत दौड लिये मंदिर-मस्जिद, बहुत दौड लिये चर्च-गुरूद्वारे। बहुत बन लिये हिन्दु-मुस्लिम, बहुत बन लिये सिख इसाई। अब तो इंसान बनो, अब तो इंसान बनो। मत भटको, मत दौडो, बहुत भटक लिये, बहुत दौड लिये । अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत कर लिया कोध और अंहकार, बहुत कर लिया ईष्या और घृणा।
बहुत कर ली चिन्ता और भय, बहुत कर ली घबराहट और हडबडाहट।
बहुत कर लिया माया मोह, बहुत कर लिया लोभ और लालच।
बहुत कर लिया शत्रुता और मित्रता, बहुत कर लिया हिंसा और अहिंसा।
अब तो रूक जाओ. अब तो ठहर जाओ।
अब तो थम जाओ, अब तो शांत हो जाओ।
मत भटको, मत दौडो, बहुत भटक लिये, बहुत दौड लिये ।
अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत कर लिये यम और नियम, बहुत कर लिये व्रत और पाठ।
बहुत कर ली पद यात्राएँ, बहुत कर ली परिक्रमायें । बहुत
कर लिये हवन और यज्ञ, बहुत पढ लिये मंत्र और तंत्र।
अब तो पहचानो उस सम्पदा को।
अब तो पहचानो उस सम्पत्ति को।
अब तो पहचानो उस गीत को।
अब तो पहचानो उस संगीत को।
अब तो पहबानो उस तान को।
अब तो पहचानो गुंजार को।
अब तो पहचानो उस महक को।
अब तो पहचानो उस खुशबू को।
जो तुम्हारे अन्दर से आ रही है।
अब तो रूक जाओ, अब तो ठहर जाओ।
अब तो थम जाओ, अब तो शांत हो जाओ।
मत भटको, मत दौडो, बहुत मटक लिये, बहुत दौड लिये । अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत कर ली तेरी और मेरी, बहुत कर ली मैं और मेरी। अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो ।
बहुत कर लिये स्नान, बहुत तैर लिये नदी और सागर में। अब तो अन्दर स्नान करो, अब तो अन्दर तैरों। अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत बजा लिये घंटा और घंटी, बहुत लगा लिये भोग और प्रसाद। बहुत चढ़ा लिये फूल और पत्ती. बहुत जला लिये दीपक और अगरबत्ती ।
बहुत चढा लिये दूध और पानी, बहुत चढ़ा लिये घी और तेल। बहुत चढा लिये इत्र और नारियल, बहुत चढा लिये माखन और मिश्री।
अब तो अन्दर का घंटा बजाओ। अब तो अन्दर भोग लगाओ। अब तो अन्दर खुशबू जगाओ। अब तो अन्दर अधियारा भगाओ।
अब तो रूक जाओ, अब तो ठहर जाओ। अब तो थम जाओ, अब तो शांत हो जाओ। मत भटको, मत दौडो, बहुत भटक लिये, बहुत दौड लिये । अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत उड लिये आकाश में, बहुत उड लिये अंतरिक्ष में। बहुत खोज लिया सागर की गहराईयों में, बहुत खोज लिया खानों में। अब तो अन्दर के आकाश में उड़ो, अब तो अन्दर के अंतरिक्ष में उड़ो। अब तो अन्दर की गहराईयों में खोजो। अब तो अन्दर की खानों में खोजो।
अब तो रूक जाओ, अब तो ठहर जाओ। अब तो थम जाओ, अब तो शांत हो जाओ। मत भटको, मत दौडो, बहुत भटक लिये, बहुत दौड लिये । अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत दौड लिये वनों में, बहुत दौड लिये जंगलों में। बहुत दौड लिये पहाडों में, बहुत दौड लिये गुफाओं में। बहुत दौड लिये आश्रमों में, बहुत दौड लिये संस्थाओं में।
अब तो रूक जाओ, अब तो ठहर जाओ।
अब तो थम जाओ, अब तो शांत हो जाओ। मत भटको, मत दाँडो, बहुत भटक लिये, बहुत दौड लिये । अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत दौड लिये मान और सम्मान के लिये। बहुत दौड लिये नाम और सत्ता के लिये। बहुत दौड लिये धन और दौलत के लिये। बहुत दौड लिये जमीन और जायदाद के लिये। बहुत दौड लिये रिशतों और अपनों के लिये। अब तो रूक जाओ, अब तो ठहर जाओ। अब तो थम जाओ, अब तो शांत हो जाओ। मत भटको, मत दौडो, बहुत भटक लिये, बहुत दौड लिये । अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत सुन ली मन और बुद्धि की. बहुत सुन ली दिल और दिमाग की। अब तो अन्दर की सुनो, अब तो अन्र्त्तआत्मा की सुनो। अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत मार्गों पर चल लिये, बहुत रास्तों पर चल लिये। बहुत सिद्धान्तों पर चल लिये, बहुत धर्मों पर चल लिये। अब तो रूक जाओ, अब तो ठहर जाओ। अब तो थम जाओ, अब तो शांत हो जाओ। मत भटको, मत दौडो, बहुत भटक लिये, बहुत दौड लिये । अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
बहुत खोज लिये चाँद और तारे, बहुत खोज लिये चॉद और सूरज। बहुत खोज लिये ग्रह और नक्षत्र, बहुत खोज लिये ग्रह और उपग्रह।
अब तो अन्दर के सूर्य को खोजो। अब तो अन्दर के प्रकाश को खोजो। अब तो अन्दर की गति को खोजो। अब तो अन्दर के मूल को खोजो। अब तो रूक जाओ, अब तो ठहर जाओ। अब तो थम जाओ, अब तो शांत हो जाओ।
मत भटको, मत दौडो, बहुत भटक लिये, बहुत दौड लिये । अब तो स्वंय के अन्दर खोजो, अब तो स्वंय के अन्दर खोजो।
सत्यवीर सिंह
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