श्री चक्रतीर्थ नैमिषारण्य धाम दर्शन यात्रा |भाग-1 | सीतापुर उत्तरप्रदेश | 4K | दर्शन 🙏
Автор: Tilak
Загружено: 2023-04-01
Просмотров: 18776
श्रेय:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी
भक्तों नमस्कार! प्रणाम! और बहुत बहुत अभिनन्दन! भक्तों आज हम अपने लोकप्रिय कार्यक्रम दर्शन के माध्यम से एक ऐसे अद्वितीय परम धाम की यात्रा करवाने जा रहे हैं जो कल्प कल्पान्तरों से इस सृष्टि की अनगिनत दिव्य और विस्मयकारी घटनाओं का प्रत्यक्षदर्शी रहा है. जिसका कण कण वेद ऋचाओं का द्रष्टा और पुराणों के श्लोकों का श्रोता रहा है. भक्तों हम बात कर रहे हैं श्री चक्रतीर्थ नैमिषारण्य धाम की!
धाम के बारे में:
भक्तों नैमिषारण्य धाम उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ से लगभग 80 किमी दूर सीतापुर जिले में गोमती नदी के तट पर स्थित है। यह तीर्थ सीतापुर रेलवे स्टेशन से लगभग डेढ़ किमी दूर है। चक्रतीर्थ में एक दिव्य सरोवर के साथ साथ कई प्राचीन व प्रसिद्ध मंदिर हैं। कहा जाता है कि चक्रतीर्थ पहुँच कर स्नान, ध्यान और दर्शन पूजन करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
श्री चक्रतीर्थ नैमिषारण्य की पौराणिक कथाएँ:
भक्तों नैमिषारण्य देवभाषा संस्कृत के नैमिष और अरण्य शब्दों से मिलकर बना है। नैमिष का अर्थ होता है पलक झपकते ही और अरण्य का तात्पर्य है वन या जंगल। वाराह पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार आदिकाल में यह स्थान एक घनघोर जंगल था। अतः यह स्थान ऋषियों, मुनियों और तपस्वियों की तपस्थली हुआ करता था। लेकिन अत्याचारी दुष्ट राक्षस ऋषियों की तपस्या में न केवल विघ्न डालते थे अपितु ऋषियों की हत्या भी कर देते थे। तब ऋषियों ने भगवान् नारायण श्री हरि विष्णु से अपनी रक्षा की गुहार लगाई। ऋषियों की गुहार सुनकर श्री हरि ने, अपने सुदर्शन चक्र से निमिष मात्र अर्थात पलक झपकते ही दुश राक्षसों का संहार कर दिया। तब से इस धाम को नैमिषारण्य कहा जाने लगा।
श्री चक्रतीर्थ:
भक्तों वायुपुराण और कूर्मपुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार- महर्षि शौनक के मन में दीर्घकालीन ज्ञान सत्र करने की इच्छा थी। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें मनोमय चक्र दिया और कहा- `इसे चलाते हुए चले जाओ। जहां इस चक्र की `नेमि' (बाहरी परिधि) गिर जाय, उसी स्थल को पवित्र समझकर वहीं ज्ञान सत्र का शुभारंभ कर दो।'
भक्तों शौनकजी अट्ठासी हजार ऋषियों के साथ मनोमय चक्र को चलाते हुए विश्व भ्रमण करने लगे। गोमती नदी के किनारे एक तपोवन (अरण्य) में मनोमय चक्र की नेमि गिर गयी और चक्र भूमि में प्रवेश कर गया। जहां चक्र भूमि में प्रवेश कर गया, वह स्थान चक्रतीर्थ कहा जाता है। मनोमय चक्र की नेमि गिरने के कारण, वह अरण्य नैमिषारण्य कहलाया और वह स्थान चक्रतीर्थ नाम से प्रसिद्ध हुआ। भक्तों जिस विशेष स्थान पर चक्र भूमि में प्रवेश किया था उस स्थान पर एक दिव्य सरोवर निर्मित हुआ, जिसे चक्रकुंड कहा जाता है।
चक्रकुंड:
भक्तों चक्रतीर्थ नैमिषारण्य स्थित चक्रकुंड एक गोलाकार दिव्य सरोवर है। जिसके मध्य में निरंतर भूगर्भीय जल का उत्सर्जन होता रहता है। चक्रकुंड से उत्सर्जित होनेवाला जल चक्र्कुंड के बाहरी परिधि में भरता रहता है, जहाँ श्रद्धालु गण स्नान करके अपना पाप प्रक्षालन करते हैं और चक्रकुंड की परिक्रमा करते है। मान्यता है कि ऐसा करने वाले श्रद्धालुओं को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और संसार के आवागमन से जीव को मुक्ति मिल जाती है। गोमती नदी के तट पर स्थित यह तीर्थ ५१ पितृस्थानों में से एक माना जाता है।
सोमवती अमावस्या को मेला:
भक्तों सोमवती अमावस्या के पावन अवसर श्री चक्रतीर्थ नैमिषारण्य स्थित चक्रकुंड के पास विशाल मेला लगता है। इस अवसर यहाँ केवल सीतापुर या उत्तरप्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु भक्त यहाँ आते हैं और स्नान दान और दर्शन पूजन कर अखंड पुण्य के भागी बनते हैं.
सिद्धि विनायक मंदिर:
भक्तों चक्रतीर्थ नैमिषारण्य में गणेशजी को समर्पित एक छोटा सा मंदिर है जो सिद्धिविनायक मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर के भीतर विघ्नहर्ता गणेशजी की एक सुन्दर मूर्ति विराजमान है।
माँ सरस्वती मंदिर:
मंदिर भक्तों चक्रतीर्थ नैमिषारण्य में सिद्धिविनायक मंदिर के साथ ही एक और मंदिर है जो बुद्धि प्रदायिनी माँ सरस्वती को समर्पित है।
भूतेश्वर महादेव मंदिर:
भक्तों भूतेश्वरनाथ महादेव मंदिर चक्रतीर्थ नैमिषारण्य का एक अति प्राचीन और सुप्रसिद्ध मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग के रूप में विराजमान भूतभावन भगवान् शिव को भक्तगण बाबा भूतेश्वर नाथ से कहते हैं। वेद पुराणों की रचनास्थली और 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य में विराजमान भूतेश्वरनाथ महादेव को नैमिषारण्य का कोतवाल भी कहा जाता है। क्योंकि मान्यता है कि बाबा भूतेश्वर नाथ नैमिषारण्य निवास करते हुए 33 कोटि देवी देवताओ और 88 हजार ऋषियों की रक्षा करते हैं। भूतेश्वर नाथ मंदिर में विराजमान शिवलिंग को प्रतिदिन तीन भिन्न भिन्न स्वरूपों में पूजा होती है। प्रातःकाल उन्हें शिशु स्वरूप शिव, दोपहर में रूद्र स्वरूप शिव तथा संध्याकाल में करुणा रुपी दयालु शिव में पूजा जाता है। इस मंदिर में भूतेश्वर नाथ के अलावा माँ दुर्गा, भगवान् गणेश, भगवान् सूर्य आदि देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
चक्र नारायण मंदिर:
भक्तों चक्र नारायण मंदिर श्री च्रक्रतीर्थ नैमिषारण्य का सबसे महत्वपूर्ण ही नहीं सबसे सुसज्जित और सबसे मनमोहक मंदिर है। इस मंदिर के गर्भगृह में काले पत्थर से बना एक दिव्य चक्र प्रतिष्ठित है। जिसके भीतर एक कमलाकृति है जिसपर भगवान् विष्णु विराजमान हैं। मंदिर की दीवारों पर नक्काशी द्वारा सुन्दर छवियां उत्कीर्ण की गयी है। जिनका दर्शन सुखद प्रतीत होता है।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
#devotional #hinduism #naimisharanyadham #uttarpradesh #सनातनधर्म
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: