Bajat Pag Paijani || Baal leela ko pad || Raag Asavari ||
Автор: Mudita Jamariya
Загружено: 2025-08-22
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रुन झुन बजत पग पेंजनी ।
हरि के तन जगमगत बिच बिच जटित कोटि कमनी ॥१॥
उठत तान तरंग बिच बिच जमी राग रगनी।
धरत पग डगमगत आँगन चलत त्रिभुवन धनी ॥२॥
तिलक चारु लिलाट शोभा जात कापै गनी ।
अमी काज मयंक ऊपर मानों बालक फनी ॥३॥
निरखि बाल विनोद जसुमति होत आनंद घनी ।
सूर प्रभु पर वारि डारों कोटि मनमथ अनी ॥४॥
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