बार-बार वही गलतियाँ क्यों दोहराते हैं हम? || आचार्य प्रशांत (2025)
Автор: राष्ट्रधर्म
Загружено: 2025-08-27
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वीडियो जानकारी: 08.01.25, गीता समागम, ग्रेटर नोएडा
Title: बार-बार वही गलतियाँ क्यों दोहराते हैं हम? || आचार्य प्रशांत (2025)
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विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी समझाते हैं कि इंसान बार-बार वही गलतियाँ क्यों दोहराता है। यूनानी दार्शनिक Heraclitus ने कहा था कि “कोई व्यक्ति एक ही नदी में दोबारा कदम नहीं रख सकता” क्योंकि नदी भी बदल जाती है और आदमी भी। श्रीकृष्ण इससे आगे जाकर बताते हैं कि बदलती तो केवल परिस्थितियाँ और रूप हैं, पर भीतर की मूर्खता — बार-बार इच्छाओं में कूदने की — वही रहती है। हम मानते हैं कि कुछ चीज़ें अच्छी हैं (सत), कुछ बुरी हैं (तम) और कुछ ऊर्जा देने वाली हैं (रज), लेकिन सच यह है कि ये गुण वस्तुओं में नहीं होते, बल्कि हमारी अपनी सोच से बनते हैं। बाहर की दुनिया जैसी दिखती है, वैसी सच में नहीं होती। असली उपाय यही है कि हम अपनी चाहतों और भावनाओं को ईमानदारी से देखें, बिना किसी लाभ की उम्मीद के। यही देखने की ताक़त हमें भीतर से आज़ाद करती है।
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संगीत: मिलिंद दाते
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