श्री महालक्ष्मी मंदिर मुंबई का रहस्य Mahalakshmi Temple Mumbai Mystery | facttec4u
Автор: FactTec4u
Загружено: 2021-03-01
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ऐतिहासिक और आश्चर्य में डाल देने वाली घटनाएं आज भी झकझोर कर रख देती हैं। मुंबई स्थित महालक्ष्मी मंदिर के बारे में तो आपने सुना ही होगा।
हिंदू धर्म का एक विशिष्ट पूजा स्थल माने जाने वाले इस मंदिर की स्थापना के पीछे एक ऐसा चमत्कार छिपा है जिस पर विश्वास कर पाना बहुत से लोगों के लिए कठिन हो सकता है लेकिन जो लोग ईश्वरीय शक्ति पर आस्था रखते हैं उनके लिए यह दैवीय शक्ति का एक उदाहरण है।
मुंबई के भूलाभाई देसाई मार्ग पर स्थित यह मंदिर महालक्ष्मी देवी को समर्पित है।
इस पूजा स्थल का निर्माण सन 1831 में धाक जी दादाजी नाम के एक हिन्दू व्यापारी ने करवाया था।
इस मंदिर का इतिहास मुंबई के वरली और मालाबार हिल से जोड़ा जाता था।
इस स्थान को आज ब्रीच कैंडी भी कहा जाता है।
मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि जब इस मंदिर का निर्माण चल रहा था तब इसके दोनों क्षेत्र को जोड़ने वाली दीवार बार-बार ढह रही थी।
इसका निर्माण ब्रिटिश इंजीनियरों द्वारा करवाया जा रहा था और वह भी यह समझने में असफल साबित हो रहे थे कि आखिर इस दीवार के गिरने का कारण क्या है।
ऐसे में इस प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर जो एक भारतीय थे, के सपने में स्वयं माता महालक्ष्मी ने दर्शन दिए और वरली के पास समुद्र में अपनी मूर्ति होने की बात कही।
माता के दिए हुए निर्देशों के अनुसार चीफ इंजीनियर को उसी स्थान पर महालक्ष्मी की मूर्ति मिली।
इस आश्चर्यजनक घटना के बाद चीफ इंजीनियर ने इसी जगह पर एक छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया और उसके बाद बड़े मंदिर का निर्माण कार्य बड़ी आसानी से संपन्न हो गया।
यह मंदिर हाजी अली दरगाह के साथ वरली के समुद्र तट पर स्थित है। इससे महालक्ष्मी मंदिर को देखा जा सकता है।
इस मंदिर के अंदर देवी महालक्ष्मी, महाकाली और सरस्वती की प्रतिमाएं स्थापित हैं। तीनों ही मूर्तियां सोने के गहनों से सुसज्जित हैं।
कब जाएं माता के दर्शन को...
मंदिर सुबह 6 बजे खुलता है तथा रात 10 बजे बंद होता है। तीनों माताओं के असली स्वरूप सोने के मुखौटों से ढंके रहते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि इस मंदिर में विराजमान देवी महालक्ष्मी की मूर्ती स्वम्भू है।
वास्तविक मूर्ती को बहुत कम लोग देख पाते हैं, असली मूर्ती के दर्शन करने के लिए आपको रात में लगभग 9:30 बजे मंदिर में जाना होगा, इस समय मूर्तियों पर से आवरण हटा दिया जाता है तथा 10 से 15 मिनट के लिए भक्तों के दर्शन के लिए मूर्तियों को खुला ही रखा जाता है और उसके बाद मंदिर बंद हो जाता है। सुबह 6 बजे मंदिर खुलने के साथ ही माता का अभिषेक किया जाता है तथा उसके तत्काल बाद ही मूर्तियों के ऊपर फिर से आवरण चढ़ा दिए जाते हैं।
महालक्ष्मी मंदिर से ही लगे कुछ छोटे बड़े अन्य मंदिरों में एक स्यंभू श्री पाताली हनुमान मंदिर बड़ा भी है। मंदिर के अंदर हनुमान जी की मूर्ति चांदी के आवरण में बेहद आकर्षक लगती है।
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