Ramaya Ke Ram Ke Kitana RupHai/राम के कितने रूप थे कितने हैं/There were so many forms of Rama/Hindi
Автор: Ever Few
Загружено: 2025-05-29
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एक भगवान,
दो पक्ष,
तीन लोक,
चार युग,
पांच पांडव,
छह शास्त्र,
सात वार,
आठ खंड,
नौ ग्रह,
दस दिशा,
ग्यारह रुद्र,
बारह महीने,
तेरह रत्न,
चौदह विद्या,
पन्द्रह तिथि,
सोलह श्राद्ध,
सत्रह वनस्पति,
अठारह पुराण,
उन्नीसवीं तुम और
बीसवां मैं…"
नरेशन - धीमी, गूंजती हुई आवाज]
“वो बूढ़ा साधु जब समय में खो गया था… उस दिन कुछ रहस्य वहीं छोड़ गया था।
बच्चा, अब किशोर बन चुका था… पर उस सवाल में अब भी उलझा था—
क्या राम हर युग में आते हैं?
क्या हर बार एक ही जैसे दिखते हैं?
क्या हर बार वही कहानी दोहराते हैं?”
हेलो दोस्तों आपको फिर से स्वागत है इस everfew चैनल में
इस चैनल में आपको रामायण से जुड़ी बातें बताया जाता है
वीडियो को स्कीप ना करते हुए इस कहानी को अंदर चलकर गहराइयों से जानते हैं और इस कहानी को सुनने के बाद शायद अपने-अपने जीवन को भी गहराइयों से समझ सकते हैं
[दृश्य – वही किशोर अब एक पहाड़ी गुफा में पहुँचता है। वहाँ एक और तपस्वी साधु ध्यान में लीन है।]
किशोर:
(संकोच से)
“स्वामी… क्या मैं एक प्रश्न पूछ सकता हूँ?”
साधु:
(आँखें खोले बिना)
“प्रश्न वही है, जो कभी चौपाल में पूछा था… राम कौन था?”
किशोर:
(आश्चर्य से)
“आपको कैसे पता…”
साधु:
(धीमे स्वर में)
“क्योंकि राम एक बार में नहीं, हर युग में आते हैं… हर बार एक नए रूप में।
सुनो… मैं तुम्हें उनके पाँच रूपों की कथा सुनाता हूँ…”
[नरेशन - पहला रूप: सत्य का राम (सतयुग)]
साधु:
“सतयुग में राम, मर्यादा नहीं… स्वयं सत्य थे।
उनके शब्दों में ब्रह्मांड गूंजता था।
उन्होंने न केवल रावण को हराया, बल्कि अहंकार को जला दिया।”
राम (सतयुग):
“मैं न युद्ध चाहता हूँ, न सत्ता…
मैं बस चाहता हूँ धर्म की स्थापना।”
[दूसरा रूप: ज्ञान का राम (त्रेतायुग)]
साधु:
“त्रेता में राम आए ज्ञान की मशाल लेकर…
उन्होंने हर शंका को शांति से मिटाया।”
शिष्य:
“प्रभु, सीता माँ को वन क्यों भेजा?”
राम (त्रेता):
(आँखें नम)
“एक राजा अपने हृदय से नहीं…
प्रजा की आँखों से निर्णय लेता है।”
[तीसरा रूप: साहस का राम (द्वापर युग)]
साधु:
“द्वापर में राम नहीं, पर उनका साहस श्रीकृष्ण में समाया था।
धर्म की रक्षा के लिए रूप बदला, पर भावना वही रही।”
कृष्ण (मुस्कराते हुए):
“राम ने धनुष उठाया, मैंने सुदर्शन फेंका।
पर दोनों बार अधर्म कांप गया।”
[चौथा रूप: त्याग का राम (कलियुग के प्रारंभ में)]
साधु:
“कलियुग की शुरुआत में राम फिर लौटे…
पर इस बार वे शांति से आए… एक साधु बनकर।”
किशोर (उत्साहित):
“क्या वो वही बूढ़े बाबा थे?”
साधु:
(मुस्कराता है)
“शायद… शायद नहीं…
पर उस साधु की आँखों में वही राम थे।”
[पाँचवाँ रूप: आज का राम - तुम्हारे भीतर]
साधु:
“अब राम तुम्हारे भीतर हैं।
जब तुम झूठ पर चुप न रहो,
जब तुम अपनों के लिए लड़ो,
जब तुम अपने दुख को पीछे रखकर औरों को बचाओ…
समझो, राम फिर प्रकट हो गए हैं।”
किशोर (धीरे से):
“तो क्या मैं भी… राम का रूप बन सकता हूँ?”
साधु:
(आँखें खोलता है, पहली बार मुस्कराता है)
“तू नहीं… हर इंसान बन सकता है।
क्योंकि राम कोई देवता नहीं…
राम एक रास्ता है।”
[अंतिम नरेशन - धीमा, भावुक स्वर]
“राम ने केवल तीर नहीं चलाए…
उन्होंने समय को साधा।
उन्होंने हर युग में वही युद्ध लड़ा…
अधर्म के विरुद्ध।
और हर बार… उन्होंने किसी इंसान के रूप में जन्म लिया।”
[दृश्य - किशोर गुफा से बाहर निकलता है, उसके पीछे से हल्का तेज प्रकाश आता है। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास है।]
[नरेशन समाप्त:]
“राम आएंगे फिर…
शायद तेरे रूप में।
फिर से मिलते हैं अगले वीडियो मे मजेदार वीडियो के साथ
बाय थैंकयू सो मच फुल वॉच
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