चींटी || Chinti || Vyakhya चींटी को देखा? वह सरल विरल काली रेखा । व्याख्या Q & A Class 10 Hindi
Автор: Gyansindhu - UP Board 9th,10th
Загружено: 2025-07-26
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चींटी || Chinti || Vyakhya चींटी को देखा? वह सरल विरल काली रेखा । व्याख्या Q & A Class 10 Hindi हाई स्कूल हिंदी सुमित्रानंदन पंत की कविता - चींटी की व्याख्या अर्थ सहित ससंदर्भ व्याख्या । Sumitranandan Pant
चींटी कविता के पद्यांश आधारित प्रश्नोत्तर - प्रश्न और उत्तर
चींटी को देखा?
वह सरल, विरल, काली रेखा
तम के तागे सी जो हिल-डुल,
चलती लघु पद पल-पल मिल-जुल,
यह है पिपीलिका पाँति! देखो ना, किस भाँति
काम करती वह सतत, कन-कन कनके चुनती अविरत।
गाय चराती, धूप खिलाती,
बच्चों की निगरानी करती
लड़ती, अरि से तनिक न डरती,
दल के दल सेना संवारती,
घर-आँगन, जनपथ बुहारती।
चींटी है प्राणी सामाजिक,
वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक।
देखा चींटी को?
उसके जी को?
भूरे बालों की सी कतरन,
छुपा नहीं उसका छोटापन,
वह समस्त पृथ्वी पर निर्भर
विचरण करती, श्रम में तन्मय
वह जीवन की तिनगी अक्षय।
वह भी क्या देही है, तिल-सी?
प्राणों की रिलमिल झिलमिल-सी।
दिनभर में वह मीलों चलती,
अथक कार्य से कभी न टलती।
सन्दर्भ प्रसंग एवं व्याख्या पद्यांश आधारित प्रश्नोत्तर के साथ
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