श्री राम-भारत का प्रेम संवाद
Автор: Renu Yadav
Загружено: 2025-09-05
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श्री राम-भरत का प्रेम संवाद
Love dialogue between Shri Ram and bharat
#श्रीराम #भरतजी #प्रेम संवाद #भ्रातृ प्रेम #त्याग और निष्ठा #धर्म और मर्यादा #रामायण प्रेरणा #भाईचारा
रामायण का सबसे हृदयस्पर्शी प्रसंगों में से एक है श्रीराम और भरत का प्रेम संवाद। यह प्रसंग भ्रातृ प्रेम, त्याग और मर्यादा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है। जब श्रीराम को वनवास मिला, तब भरत ने न केवल अयोध्या का राजसिंहासन स्वीकार करने से इंकार किया, बल्कि वन में जाकर श्रीराम से राज्य वापस लेने की प्रार्थना की। इस मिलन के समय दोनों भाइयों के बीच का संवाद इतना भावपूर्ण था कि देवताओं और ऋषियों तक की आंखें नम हो गईं।
भरत ने कहा कि उनके लिए सबसे बड़ा धन श्रीराम का सान्निध्य और आशीर्वाद है, न कि राजसिंहासन। वहीं श्रीराम ने भरत को समझाया कि धर्म और पिता की आज्ञा उनके लिए सर्वोपरि है। उन्होंने भरत को अयोध्या का उत्तरदायित्व निभाने का आदेश दिया। इस प्रेम संवाद में त्याग, सेवा, कर्तव्य और भ्रातृ प्रेम का अद्भुत समन्वय दिखाई देता है।
यह प्रसंग हमें सिखाता है कि संबंध केवल रक्त से नहीं, बल्कि निष्ठा, त्याग और सच्चे प्रेम से मजबूत होते हैं। श्रीराम-भरत का संवाद आज भी भाईचारे, आदर्श और प्रेम की अमर गाथा के रूप में हर दिल को छू लेता है।
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